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बीकानेर,बदलते दौर में अब बीकानेरी भूजियों के प्रॉडेक्शन का तरीका भी बदल गया है। दो दशक पहले तक बीकानेरी पुरानी तकनीक से ही बनाया जाता था लेकिन अब अलग-अलग तरह के मोटे अनाज के आटों के मिश्रण, कई तरह के मसालों को मिलाकर और विभिन्न खाद्य तेलों से उत्पाद तैयार करने के नित नए प्रयोग यहां हो रहे हैं। लोगों के जीभ के बदलते स्वाद के साथ यहां का नमकीन उद्योग भी बदल रहा है। मोठ और बेसन के भुजिया अलग-अलग साइज में तैयार किए जाते रहे हैं। लेकिन अब अलग-अलग आकार-प्रकार और स्वाद के नमकीनों की खपत भुजिया के बराबर ही होने लगी है। यही वजह है कि बड़ी फैक्ट्रियां अब भुजिया के साथ दस से पन्द्रह तरह के अन्य उत्पाद भी तैयार करने लगी है। बीकानेर संभाग में रोजाना 400 से 500 टन नमकीन तैयार होती है। इनमें करीब ढाई सौ टन भुजिया तैयार होती है। यहां तक कि छोटे आकार में कचौरी और समोसा भी पैकिंग उत्पाद के रूप में बाजार में उतारे गए हैं। दरअसल, बीकानेर में भूजिया मुख्य रूप से पांच प्रकार की बनती है। इसके साथ ही मूंगफली की टेस्टी, सोया स्टिक, पंजाबी तडक़ा, लाइट चिवड़ा, मसाला चिवड़ा, चना चोकोर, लेमन भेल, कुरकुरे, पफकॉर्न, मूंग दाल, चना दाल, व्रत के लिए फलों से बने नमकीन, आलू व केले से बने नमकीन, ड्राईफ्रुट से बने नमकीन, रोस्टर्ड मूंगफली व साबुत चना, मटर, बाजरा, मक्की से उत्पाद तैयार हो रहे हैं। इसी के साथ अब मिलेट्स यानि मोटा अनाज के खाद्य उत्पाद तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं।

अब ऑल सीजन हो गया कारोबार
नमकीन कारोबारियों के अनुसार पहले भुजिया का सीमित कारोबार और साल के कुछ महीने का सीजन रहता था। लेकिन अब नए उत्पाद जुडऩे से अब सालभर इंडस्ट्री में काम चलता रहता है। चना, मोठ, मूंग, उड़द, चावल के आटे के अलग-अलग समूह बनाकर मिश्रण से नमकीन तैयार किए जा रहे हैं। पहले सोया का आटा उस गुणवत्ता का उपलब्ध नहीं होता था, लेकिन इसके बने उत्पादों को लोगों ने पसंद किया तो अब यह उद्योगों को उपलब्ध होने लगा है। हालांकि भुजिया आज भी सदाबहार है, परन्तु इसके बराबर खपत अन्य प्रकार की दालों, मसालों और विभिन्न खाद्य तेलों से बनने वाले नमकीन उत्पादों की हो गई है।

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