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बीकानेर,विरासत संवर्द्धन संस्थान द्वारा भारतीय संगीत की सुमधुर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन रविवार शाम गंगाशहर स्थित टी.एम. ऑडिटोरियम में हुआ। कार्यक्रम के शुभारम्भ में मां सरस्वती के समक्ष संस्थान के अध्यक्ष टोडरमल लालाणी, जैन महासभा के नव निर्वाचित अध्यक्ष कन्हैयालाल बोथरा, हुलासमल लालानी, एडवोकेट किशनलाल बोथरा, सम्पतलाल दूगड़ ने दीप प्रज्वलन किया। ख्यातनाम संगीत गुरु पं. पुखराज शर्मा ने भावपूर्ण शैली में सरस्वती वन्दना की।

सुमधुर गायिका सीमा सिंह शेखावत ने ॓आवाज दे कहां है व बुझ मेरा क्या नाम रे ॔ गीत प्रस्तुत किये तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर उन्हें सराहा।
इस अवसर पर हेमन्त डागा द्वारा ॓मुझे दर्दे दिल का पता न था ॔ एवं ॓अब चैन से रहने दो ॔ गीतों प्रस्तुत की तो श्रोताओं मंत्रमुग्ध हो गए।
पं. पुखराज शर्मा ने मांड की प्रस्तुति ॓झालो म्हां स्यूं दियो नहीं जाय ॔ एवं ॓दल बादल बिच चमकै जी तारा ॔ जैसे राजस्थान के श्रृंगार रस के सुमधुर लोकगीतों से हमारी गौरवशाली विरासत कलाओं की अनुभूति हुई।
सुर संगम एवं अन्य प्रतियोगिताओं में विजेता रही रुखसाना ने ॓दिल चीज क्या है, आप जान लीजिए, बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए, ॑जला सेन म्हे तो थारां डेरा ॔ ॓अजी रूठ कर अब कहां जाइयेगा, जहां जाइयेगा हमें पाइयेगा ॔ ॔रस्म ए उल्फत को निभायें तो ॔ ॓रैना बीती जाए ॓ ॔अजीब दास्तां हैं ॔ ॓सलोना सा समन है और मैं हूं॔, ॓उमराव थांरी बोली प्यारी लागे ॔ आदि गीत प्रस्तुत कर बीकानेर के संगीत रसिकों को भाव विभोर कर दिया।
मुम्बई से समागत रमजान की ॓वो जब याद आए बहुत याद आए ॔ ॓ज्योति कलश छलके ॔ ॓सुहानी रात ढ़ल चुकी ॔ ॓अहसान तेरा होगा मुझ पर ॔ ॓जिन्दगी में तो सभी ॔ आदि गानों की शानदार प्रस्तुतियों के साथ ही ॓धरती धोरां री ॔ जैसी राजस्थानी गीत भी प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। उनकी प्रस्तुतियों पर तालियों एवं वाहवाही से पूरा ओडिटोरियम थिरकन महसूस करता रहा।
विरासत अध्यक्ष टोडरमल लालाणी ने अपने आशीर्वचन में ग़ज़ल के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे परम्परागत भारतीय व राजस्थानी संगीत व ग़ज़लों की हमारी विरासत है, जिसका मूल रूप लुप्त हो रहा है‌। इस सांस्कृतिक एवं संगीत विरासत को संरक्षित करके वर्तमान के अनुरूप संवर्द्धित करना आवश्यक है।
संगीत गुरू पंडित पुखराज शर्मा के निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम में हारमोनियम पर पंडित पुखराज शर्मा, तबले पर गुलाम हुसैन, ढ़ोलक पर लियाकत अली, की-बोर्ड पर कमल बिहानी व ऑक्टोपैड पर मोहसीन खान ने संगत की। मंच संचालन हेमंत डागा ने किया। उन्होंने प्रस्तुतियों के साथ ही साथ गीतों व ग़ज़लों के बारे में विस्तृत जानकारी भी दी।
कार्यक्रम के शुभारम्भ में जतनलाल दूगड़ ने टी.एम. आडिटोरियम एवं विरासत संस्थान के संस्थापक श्री टोडरमल लालानी को 91 वर्ष के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में बधाई दी। दूगड़ ने कहा कि वे इस उम्र में भी वे जिस व भावना से हमारी भारतीय व राजस्थानी संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन का काम कर रहें हैं, वह स्तुत्य है। उपस्थित सभी संगीत रसिकों ने उनके स्वस्थ, सुखी व सुदीर्घ जीवन की मंगल कामना करते हुए आशा व्यक्त की कि वे युगों-युगों तक इसी प्रकार उत्साह से बीकानेर में संगीत व भारतीय विरासत की कलाओं को संवर्द्धित करते रहें। इस अवसर पर हेमन्त डागा ने ॓बार-बार दिन में आये..ऺ, गीत गाकर जन्मदिन की बधाई दी। जतनलाल दूगड़ ने जैन महासभा के नव निर्वाचित अध्यक्ष कन्हैयालाल बोथरा के सफल व सार्थक कार्यकाल की भी मंगल कामना की।
कार्यक्रम में कामेश्वर प्रसाद सहल, मनोहर सिंह यादव, डॉ. पी.डी. तंवर, एडवोकेट किशनलाल बोथरा, विजय लालानी, तोलाराम बोथरा, डॉ संजीव सहगल, सीताराम कच्छावा, प्रोफेसर डॉ टी.के.जैन, महेन्द्र जैन एडवोकेट, बुलाकी दास मारू, मेघराज बोथरा, दिनेश जैन, इन्द्रचन्द कोचर आदि गणमान्य व्यक्तियों एवं संगीत रसिकों ने शिरकत कर भारतीय व राजस्थानी संगीत व ग़ज़लों का लुत्फ उठाया।

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