बीकानेर, राजस्थानी के भीष्मपितामह स्व. मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ आधुनिक राजस्थानी कहानी के जनक तो थे ही वहीं आपका साहित्य मानवीय संवेदनाओं का दस्तावेज है। आपने राजस्थानी गद्य साहित्य को नई दिशा दी यह उद्गार आज दोपहर नालन्दा परिसर के सृजन सदन मे आयोजित स्व. मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ की 38वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित ‘हमारे पुरोधा’ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि, कथाकार एवं राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम में वरिष्ठ शिक्षाविद् मदनमोहन व्यास ‘एस.पी’ ने कहा कि स्व व्यास के साहित्य के सही मूल्यांकन बाबत आलोचकों को आगे आना चाहिए। साथ ही नई पीढी को अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पित भाव से काम करना चाहिए।
युवा शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि स्व. व्यास मानवीय चेतना के पैरोकार थे। वहीं कवि गिरीराज पारीक ने स्व. व्यास को नमन करते हुए कहा कि उनके मातृभाषा के प्रति समर्पण से नई पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
युवा शिक्षाविद् राजेश रंगा ने कहा कि स्व. व्यास का भाषा एवं साहित्य के प्रति किया गया कार्य वरेण्य है। इतिहासविद् डॉ. फारूक चौहान ने कहा कि स्व. व्यास मानवीय मूल्यों का निवर्हन करने वाले सच्चे साधक थे। परिसंवाद में स्व. व्यास को स्मरण-नमन करते हुए हरिनारायण आचार्य, अशोक शर्मा, भवानी सिंह, मदनगोपाल व्यास जैरी, आशिष रंगा एवं बीडी भादाणी आदि ने उन्हें मौन साधक बताया।
कार्यक्रम का संचालन सुनील व्यास ने किया। अंत में सभी ने दो मिनट का मौन रखकर स्व. व्यास को अपनी श्रद्धा अर्पित की।