बीकानेर,प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत राज्य सरकार ने पट्टों के बदले पट्टे जारी करने की व्यवस्था कर रखी है, लेकिन कई पूर्व ग्राम पंचायतें जो स्थानीय निकायों में समाहित हो चुकी हैं, उनकी ओर से जारी पट्टाधारक नगर निगम में चक्कर निकालने को मजबूर हैं।
ग्राम पंचायतों के पट्टे होने के बाद भी सैंकड़ो मकान मालिकों को पट्टों के बदले पट्टे नहीं मिल पा रहे हैं। प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत राज्य सरकार ने पट्टों के बदले पट्टे जारी करने की व्यवस्था कर रखी हैं, लेकिन कई पूर्व ग्राम पंचायतें जो स्थानीय निकायों में समाहित हो चुकी हैं, उनकी ओर से जारी पट्टाधारक नगर निगम में चक्कर निकालने को मजबूर हैं। बताया जा रहा है कि नगर निगम में समाहित हो चुकी कई ग्राम पंचायतों का पूरा पट्टा रेकॉर्ड नहीं है। अभियान के तहत रोज ऐसे कई पट्टेधारकं निगम में पहुंच रहे हैं.. जिनके पास संबंधित ग्राम पंचायतों के पट्टे तो हैं, लेकिन निगम में उसका रेकॉर्ड नहीं होने से पट्टे जारी करने में दिक्कत हो रही है।
नहीं हो रहा पट्टों का सत्यापन
निगम के पास ग्राम पंचायतों की ओर से जारी सभी पट्टों का रेकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने से निगम ऐसी स्थिति में नजर नहीं आ रहा है कि सामने आ रहे पट्टों को सही या गलत ठहरा सके। पट्टों का सत्यापन भी नहीं हो पा रहा है।
निगम अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे है कि कई ग्राम पंचायतों का पट्टों से संबंधित पूरा रेकॉर्ड निगम में उपलब्ध नहीं है।
रेकॉर्डसंधारण में कोताही
दशकों पहले ग्राम पंचायतों के स्थानीय निकायों में विलय होने के दौरान रही कमी का खमियाजा मकान मालिक भुगत रहे हैं। हाथों में दशकों पुराने पट्टे होने के बाद भी उनको पट्टों के बदले पट्टे नहीं मिल रहे हैं। बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायतों के विलय के दौरान रेकॉर्ड हस्तांतरण सहित रेकॉर्ड संधारण में कमी रही। ग्राम पंचायतों का पूरा पट्टा रेकॉर्ड, नक्शे आदि जमा हुए अथवा नहीं, इसकी जानकारी वर्तमान अधिकारियों कर्मचारियों के पास नहीं है।
जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
पट्टों से संबंधित रेकॉर्ड को संधारित रखने की एक पूरी व्यवस्था है। अगर रेकॉर्ड पूरा नहीं है, तो उसे किस प्रकार पूरा किया जा सकता है अथवा रेकॉर्ड को ढूंढकर सुरक्षित व संरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी तय है।
दशकों बाद आज भी स्थानीय निकायों में विलय हो चुकी शिवबाड़ी, करमीसर, सुजानदेसर श्रीरामसर आदि ग्राम पंचायतों का पट्टा रेकॉर्ड अव्यवस्थित है। लोगों को उनके आशियानों के पट्टे नहीं मिल रहे हैं।
संबंधित अधिकारी भी आमजन को हो रही समस्या को दूर करने की बजाय केवल पत्रावलियां घुमा रहे है व लोगों को चक्कर निकलवा रहे हैं।