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बीकानेर,जयपुर, 9 वर्षीय अमायरा मीणा की संदिग्ध मौत के मामले में संयुक्त अभिभावक संघ ने शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग पर सीधे-सीधे मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा है कि पूरा सरकारी तंत्र नीरजा मोदी स्कूल को बचाने में जुटा है और न्याय की राह में खुला अवरोध खड़ा कर रहा है।

संघ के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा गठित जांच समिति ने अपनी तथाकथित “जांच रिपोर्ट” में घटना की जांच तक नहीं की, बल्कि “नीरजा मोदी स्कूल को बचाने की एक लिखी-लिखाई स्क्रिप्ट” को रिपोर्ट के रूप में सबमिट कर दिया। यह शिक्षा विभाग के इतिहास का सबसे शर्मनाक अध्याय है।

*2 घंटे में जांच अधिकारी का प्रमोशन — सरकार का ‘फेवर’ या स्कूल प्रबंधन का दबाव?*

संघ ने खुलासा किया कि जिस दिन जांच अधिकारी ने रिपोर्ट सबमिट की, उसी दिन मात्र दो घंटे के भीतर उनका प्रमोशन कर दिया गया और हाथों-हाथ उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) के पद से रिलीव भी कर दिया गया। संघ ने पूछा — *“सच क्या छुपाया जा रहा है? इतनी जल्दी प्रमोशन किसके कहने पर हुआ? यह न्याय है या सौदेबाज़ी?”*

*जांच अधिकारी की भूमिका संदिग्ध — अभिभावक और संघ को घंटों चक्कर कटवाते रहे*

जिस दिन रिपोर्ट सबमिट होनी थी, उस दिन संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू, अमायरा के पिता विकास मीणा, महिपाल मीणा समय लेकर जांच अधिकारी के कमरे में पहुँचे, लेकिन तीन घंटे बैठाने के बावजूद अधिकारी सामने नहीं आए। शाम को फोन उठाया और कहा — *“रिपोर्ट सबमिट कर दी… मेरा प्रमोशन हो गया… मैं रिलीव हो चुका हूँ… रिपोर्ट लेनी है तो संयुक्त निदेशक मंजू शर्मा से ले लीजिए।”* अगले ही दिन मीडिया में अधिकारी का “स्कूल बचाने वाला” बयान देखकर पूरा संघ स्तब्ध रह गया।

*संयुक्त अभिभावक संघ की मांग — शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को तत्काल बर्खास्त किया जाए*

संघ ने कहा कि विश्वसनीय सूत्रों से यह स्पष्ट हुआ है कि नीरजा मोदी स्कूल के मालिक ने अपने प्रभाव का उपयोग कर जांच टीम को प्रभावित किया, जांच अधिकारी का प्रमोशन करवाया और शिक्षा मंत्री से भी सांठगांठ करके अपने पक्ष में रिपोर्ट तैयार करवाई।

*इसलिए संघ ने मांग की —*

1. संदिग्ध भूमिका वाले अधिकारी रामनिवास शर्मा पर तत्काल विभागीय कार्रवाई हो।

2. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को तुरंत पद से बर्खास्त किया जाए।

3. जांच रिपोर्ट को अविलंब सार्वजनिक किया जाए।

4. संघ की पहले दिन से मांग थी कि अभिभावक प्रतिनिधि को जांच दल में शामिल किया जाए किन्तु नहीं किया गया। अब पुनः नई जांच समिति गठित करे और जांच दल में अभिभावक प्रतिनिधि को शामिल करे।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि *“यह प्रकरण सत्ता, प्रभाव और भ्रष्टाचार की काली तस्वीर पेश करता है। अमायरा जैसी मासूम बच्ची की मौत पर न्याय को कुचलने की कोशिश हुई है। शिक्षा मंत्री से लेकर अधिकारी तक — सबने मिलकर सच को दबाया है। संयुक्त अभिभावक संघ सरकार को चेतावनी देता है कि यदि दोषियों पर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो पूरे राजस्थान में बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

अमायरा के पिता विकास मीणा ने कहा कि मेरी बेटी के मामले में न्याय देने के बजाय अधिकारी हमें ही चक्कर कटवाते रहे। जिस दिन रिपोर्ट देने का समय लिया, उसी दिन बिना हमसे मिले प्रमोशन लेकर भाग जाना बताता है कि सब पहले से सेट था। जिनके पास न्याय देने की जिम्मेदारी थी, वही लोग स्कूल को बचाने में लगे थे। हम इस अन्याय को स्वीकार नहीं करेंगे  मेरी बेटी को न्याय जरूर मिलेगा।

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