बीकानेर.भौगोलिक दृष्टि के साथ वायुमंडल के लिहाज से भी बीकानेर दुनिया का महत्वपूर्ण स्थान है। जहां जमीन पर जिले से होकर देश को उत्तर से दक्षिण सीधे जोड़न वाली भारतमाला सड़क परियोजना और ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे जैसे दो महत्वपूर्ण हाइवे गुजरते हैं। वहीं आसमान में बने इलेक्ट्रॉनिक रोड रेडियल मार्ग से अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवाओं के विमानों को मार्ग उपलब्ध करवाया जाता है। यह वन-वे हवाई मार्ग है। यानी एक मार्ग पर विमान एक तरफ ही जाते हैं। सामने से कोई विमान नहीं आता। दुनिया में एक देश से दूसरे देश को आवागमन करने वाले विमान बीकानेर के आसमान का उपयोग करते हैं। इस मार्ग की संचार प्रणाली के उपकरणों की लाइफ पूरी होने पर अब कोरिया की नवीनतम तकनीक के उपकरण लगाए जाने हैं। इसके लिए भारतीय विमानपत्तनन प्राधिकरण के उत्तर क्षेत्र महाप्रबंधक (सीएनएस) एसआर मेहतो के नेतृत्व में अधिकारी बीकानेर का दो दिवसीय दौरा भी कर गए हैं।
जिले में दो संचार केन्द्र होंगे अपग्रेड
दोनों अंतरराष्ट्रीय हवाई मार्ग एक तरफा (वन-वे) हैं। लूणकरनसर क्षेत्र के आसमान से गुजरने वाले मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय यात्री सेवा विमान पश्चिम की तरफ जाते हैं। इसके लिए भांडेरा गांव के पास संचार केन्द्र बना हुआ है। जबकि पश्चिम से पूर्व की तरफ जाने वाले विमानों के लिए बीकानेर के नजदीक जामसर और खारा के बीच से हवाई मार्ग है। इसके लिए श्रीडूंगरगढ़ के ठुकरियासर गांव के पास संचार केन्द्र स्थापित है। विमानों के पायलट को जमीन पर बने संचार केन्द्रों से रास्ते के सिग्नल मिलते हैं। केन्द्रों के उपकरणों की लाइफ पूरी होने पर अब कोरिया की नवीनतम वैमानिक दिग्दर्शन प्रणाली के उपकरण लगने हैं। यह कार्य अगले दो महीने में पूरा होना है।
जिस तरह से धरातल पर सड़क मार्ग वाहनों के लिए बने होते हैं। ठीक वैसे ही आसमान में इलेक्ट्रॉनिक्स रेडियम की अदृश्य सड़क है। जो विमान के पायलट के कॉकपिट में लगी स्क्रीन पर जमीन से मिल रहे सिग्नल से नजर आती है। कुछ समय पहले तक बीकानेर के ऊपर से होकर ऐसा एक ही हवाई मार्ग था। इसमें विमानों के आमने-सामने टक्कर होने का खतरा रहता था। ऐसे में वन-वे कर दो मार्ग बना दिए गए। विमानन कम्पनी इस सुविधा के बदले नागरिक उड्डयन मंत्रालय को शुल्क भी देती है। यानी बीकानेर के आसमान से गुजरने वाले अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा के विमानों से सरकार को आय भी होती है।
नई तकनीक में रास्ता ज्यादा स्पष्ट
अधिकारी एसआर महतो ने बताया कि कोरिया की तकनीक के उपकरण डीवीओआर विमान को जमीन से ज्यादा स्पष्ट रास्ते का रेडियल बता सकेंगे। अभी तक काम में ली जाने वाली तकनीक में रास्ते की डिग्री में प्वाइंटों का एरर रह जाता था। नई तकनीक में यह भी नहीं रहेगा। यह तकनीक पूरी तरह डिजिटल है।लोकल फ्लाइट नीचे, अंतरराष्ट्रीय ऊपर
बीकानेर से दिल्ली के बीच लोकल विमान सेवा संचालित हो रही है। यह विमान करीब दस से ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर बने इलेक्ट्रॉनिक सड़क मार्ग का उपयोग करता है। जबकि अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट इससे कई गुणा ऊंचाई पर बने मार्ग का उपयोग करते हैं। बीकानेर-दिल्ली की फ्लाइट की रफ्तार भी करीब पौने दो सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रहती है, जबकि अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स की रफ्तार साढ़े चार सौ किलोमीटर से अधिक रहती है।
450 किमी रफ्तार और 34 हजार फीट ऊंचाई
अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा के विमान जमीन से 34 और 38 हजार फीट ऊंचाई पर रोजाना गुजरते हैं। बीकानेर जिले से गुजरने वाले मार्ग का नाम लूंका-1 और लूंका-2 है। यह बीकानेर मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर लूणकरनसर क्षेत्र तथा बीकानेर नाल एयरपोर्ट से दस किलोमीटर दूर जामसर क्षेत्र से होकर गुजरते हैं। बीकानेर के ऊपर से अधिकांश अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स पाकिस्तान वाया होकर अरब और यूएसए की तरफ आवागमन करती है। इनमें 50 अंतरराष्ट्रीय यात्री विमान व करियर विमान शामिल हैं।