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बीकानेर, राज्य में पिछले तीन साल से एक भी तृतीय श्रेणी अध्यापक का तबादला नहीं हुआ है। यहां तक की विधवा, दिव्यांग, और अविवाहित, शिक्षिकाओं को भी सुदूर जिले में नौकरी करनी पड़ रही है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्थान शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा की समदन श्रीमती कमला को अपने ही गांव मैं मंत्री के समधी और चूरू जिला के शिक्षा अधिकारी रमेश चंद्र पूनिया ने खुद ही लगा दिया। जब पति जिला शिक्षा अधिकारी हो और पत्नी तृतीय श्रेणी अध्यापिका हो तो इच्छित स्थान पर लगाना ही था। फिर अगर समधी शिक्षा राज्यमंत्री हो तो सोने पर सुहागा होना ही है। हजारों शिक्षक जहां अपने जिले में आने के लिए वर्षों से तरस रहे हैं। वहीं राजनीतिक पहुंच वालों के लिए नियम कायदे ताक पर रखे जा सकते हैं

जानकारी के अनुसार अनुसार श्रीमती कमला का पद पद स्थापन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय लाखलान चुरू जिले में था। जिसको अब राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय हमीरवास में लगा दिया गया है। जो उनका खुद का गांव है। और उनके पति जो अभी उपनिदेशकों की हुई पदोन्नति में इस पद पर चयनित हुए हैं जो 30 सितंबर 2021 की सेवानिवृत्त होने वाले है तथा सेवानिवृत्त के बाद गांव में ही रहना है इसलिए पत्नी को पहले ही अपने गांव में लगा दिया है। जानकारी के अनुसार रोचक तथ्य यह भी है कि हमीरवास में तृतीय श्रेणी अध्यापिका का पद रिक्त नहीं था। इसलिए वहां पद स्थापित अध्यापक राजेंद्र झांझरिया को डिंगली के विद्यालय में लगा दिया। ताकि श्रीमती कमला को हमीरवास में लगाया जा सके।

वही शिक्षक संगठनों का आरोप है कि शिक्षा राज्यमंत्री डोटासरा ने अपने रिश्तेदार और अपनी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के तबादले शिक्षण व्यवस्था के प्रति नियुक्ति तथा परिवेदना निस्तारण के नाम पर किए। बताया जाता है कि डोटासरा अपने विधानसभा क्षेत्र के करीब 300 विभिन्न सवर्गों के शिक्षकों का लाभ दिलया है। जबकि दूसरे क्षेत्रों के शिक्षक अभी भी तबादलो को तरस रहे हैं। राजस्थान एकीकृत शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष हरपाल दादरवाल ने तो लोकायुक्त को शिकायत भेजकर डोटासरा के पूरे कार्यकाल की जांच कराने की मांग की है। इसके अलावा एडवोकेट गोवर्धन सिंह ने भी इस प्रकरण में कोर्ट में इस्तगासा दायर करने की जानकारी है।

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