
बीकानेर, गच्छाधिपति आचार्य प्रवर जिनमणि प्रभ सूरीश्वरजी महाराज के आज्ञानुवर्ती गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिन मणि प्रभ सूरीश्वरजी महाराज के आज्ञानुवर्ती गणिवर्य श्री मेहुल प्रभ सागर म.सा., मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वी दीपमाला श्रीजी व शंखनिधि के सान्निध्य में बच्चों ने लघु नाटिका के माध्यम से रविवार को ढढ्ढा कोटड़ी में सुपात्र के दान का महत्व को बहुत रोचक व प्रभावी संवादों से बताया। । दोपहर के शिविर में बच्चों ने सीखे, धर्म, संस्कार के गुर।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद कीे बीकानेर इकाई की ओर से सकल श्रीसंघ के सहयोग से आयोजित चातुर्मास में अपने आप में पहली व अनूठी प्रस्तुति थी। अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद कीे बीकानेर इकाई के प्रचार प्रसार मंत्री धवल नाहटा ने बताया कि ज्ञान वाटिका के बच्चों ने लघु नाटक में बताया कि जैन धर्म में दान की परम्परा को श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु दान तभी सार्थक होता है, जब वह सुपात्र को दिया जाए।
केयूप के उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र खजांची ने बताया कि दोपहर के शिविर में बालक-बालिकाओं को मुनि मंथन प्रभ सागर व साध्वीश्री दीपमाला ने धर्म, ध्यान, देव, गुरु की वंदना, विभिन्न तरह के पाप कर्मों से बचने के बारे में बताया। बच्चों ने सामूहिक गुरु वंदना व प्रार्थना की । आगामी रविवार के शिविर की भाषण प्रतियोगिता का विषय भक्ष्य-अभक्ष्य का भेद रखा गया है। बालक बालिकाओं ने अनेक तरीके पापों से अवगत करवाया तथा उससे बचने की बात भाषण प्रतियोगिता में की। शिविर हिस्सा लेने वाले सभी बच्चों का अल्पहार तथा शिक्षण सामग्री की प्रभावना से जयकुमार,पुखराज,ललित, नरेन्द्र व वीरेन्द्र पुगलिया व उनके परिवार की श्राविकाओं ने अभिनंदन किया।