बीकानेर,राजस्थान के इकलौते आवासीय खेल विद्यालय, सादुल स्पोर्ट्स स्कूल, की दुर्दशा के खिलाफ चल रही दानवीर सिंह भाटी और भैरूरतन ओझा की भूख हड़ताल अब चौथे दिन में प्रवेश कर चुकी है। शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते खिलाड़ियों के सपने टूट रहे हैं, और उनकी आवाज़ को अनसुना किया जा रहा है। क्रीड़ा भारती के नेतृत्व में यह आंदोलन शिक्षा विभाग को जागरूक करने के लिए शुरू हुआ है।
हवन और आंदोलन: भगवान से न्याय की उम्मीद
भूख हड़ताल के साथ-साथ आंदोलनकारियों ने चौथे दिन स्कूल के सामने हवन कर भगवान से प्रार्थना की कि शिक्षा विभाग को ‘सदबुद्धि’ मिले। क्रीड़ा भारती के पदाधिकारी और खिलाड़ी अब अधिकारियों और मंत्रियों की उदासीनता के खिलाफ आस्था का सहारा ले रहे हैं।
“खेलों का मंदिर या शिक्षा विभाग की अनदेखी का शिकार?”
18 नवंबर से शुरू हुए इस आंदोलन ने सादुल स्पोर्ट्स स्कूल की बदहाल स्थिति को उजागर कर दिया है। स्कूल में डाइट मनी पिछले 17 वर्षों से ₹100 पर अटकी हुई है। हॉस्टल में गर्म पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं, प्रशिक्षकों और सहायक प्रशिक्षकों के पद खाली हैं, खेल उपकरणों का बजट नाममात्र है, और बच्चों को भोजन चपरासी बना रहे हैं।
दानवीर सिंह भाटी ने कहा, “सादुल स्पोर्ट्स स्कूल जैसा ऐतिहासिक संस्थान शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। विभाग की इस उदासीनता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
मुख्य मांगें:
1. डाइट मनी को ₹100 से बढ़ाकर ₹300 करना।
2. प्रशिक्षक और सहायक प्रशिक्षकों की नियुक्ति।
3. हॉस्टल में कूलर और गीजर की व्यवस्था।
4. खेल उपकरणों के बजट को ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख करना।
5. डिस्पेंसरी और स्विमिंग पूल की सुविधा बहाल करना।
“अब और इंतजार नहीं!”
भाटी ने चौथे दिन आंदोलन को तेज करते हुए कहा, “यह केवल सादुल स्पोर्ट्स स्कूल का नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान के खिलाड़ियों और उनके भविष्य का सवाल है। अगर शिक्षा विभाग अब भी नहीं जागा, तो इस आंदोलन को राज्यव्यापी बनाया जाएगा।”
आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें शीघ्र नहीं मानी गईं, तो यह संघर्ष और उग्र रूप ले लेगा। सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग अब भी अपनी आंखें मूंदे रहेगा, या इन नन्हें खिलाड़ियों के हक की लड़ाई का सम्मान करते हुए कार्रवाई करेगा?