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जयपुर,प्रियंका गांधीज्यही नाम है जो राजस्थान में होने वाले राज्यसभा चुनावों में सबसे ज्यादा चौंका सकता है। राज्यसभा चुनावों की आहट तेज हो गई है। 4 सीटों पर चुनाव होंगे, जिन पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। भाजपा के ओम प्रकाश माथुर, केजे अल्फोंस, रामकुमार वर्मा और हर्षवर्धन सिंह का कार्यकाल 4 जुलाई को पूरा हो जाएगा।

4 में से 3 सीटों का गणित तो लगभग क्लीयर है। 2 सीटें कांग्रेस और भाजपा के खाते में आती दिख रही हैं। रोमांचक मुकाबला चौथी सीट के लिए होगा। इस बार कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों के नाम चौंकाएंगे। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी प्रियंका गांधी वाड्रा को राजस्थान से उम्मीदवार घोषित कर सकती है। वहीं आलाकमान रॉबर्ट वाड्रा के नाम पर भी विचार कर रहा है। रॉबर्ट वाड्रा ने हाल ही में राजनीति में उतरने की इच्छा जताई थी। एक चर्चा यह भी है कि रॉबर्ट वाड्रा को छत्तीसगढ़ से भी मौका दिया जा सकता है। छत्तीसगढ़ में दो सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है। इधर, राजस्थान से कांग्रेस उम्मीदवारों में पूर्व वित्त और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को भी एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है। स्थानीय नेताओं की बात करें, तो रघु शर्मा का नाम भी दौड़ में शामिल है। गुजरात प्रभारी ऐसे में यदि प्रियंका राज्यसभा पहुंचती हैं, तो राजस्थान में उनका प्रभाव और बढ़ जाएगा। यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी के साथ पायलट ने कंधे से कंधा मिलाकर कांग्रेस का प्रचार भी किया था। माना जाता है कि पायलट के प्रति प्रियंका का सोफ्ट कार्नर रहता है। ऐसे में पायलट का प्रभाव भी कांग्रेस में और अधिक बढ़ना तय है, हालांकि ऐसा भी नहीं है कि पायलट का प्रभाव बढ़ेगा, तो गहलोत का घट जाएगा। सोनिया गांधी की बात कभी नहीं टालने के कारण गहलोत उनकी गुड बुक में रहते हैं, लेकिन जानकारों के मुताबिक प्रभाव बढ़ने से पायलट से कार्यकर्ता और ज्यादा जुड़ेंगे।

भाजपा दो उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर काम कर रही: संख्याबल के हिसाब से भाजपा एक सीट ही बचा पाएगी, लेकिन पार्टी दो उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर काम कर रही है, क्योंकि चौथी सीट का गणित अभी स्पष्ट नहीं है। भाजपा में अंदरखाने दो बार राज्यसभा जा चुके ओम प्रकाश माथुर को वापस चुनाव लड़ाने की चर्चा चल रही है। माथुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। वे संघ से भी जुड़े हुए हैं। नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े गए गुजरात के पिछले विधानसभा चुनावों में वे वहां रहकर प्रमुख भूमिका निभाते रहे थे। साथ ही, वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वे भाजपा की जीत के प्रमुख रणनीतिकारों में से थे। हालांकि इतना तय है कि ओमप्रकाश को टिकट नहीं मिला तो भाजपा हाईकमान बाहर से ही उम्मीदवार चुनकर भेजेगा। राजस्थान के किसी नेता को मौका मिलने के आसार कम ही हैं।

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