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बीकानेर,बीकानेर पूर्व राजघराने का सम्पति विवाद फिर चर्चा में आ गया है। जब राजश्री कुमारी को जूनागढ़ स्थित उनके पैत्रिक मंदिर के दर्शन प्रवेश से रोक लिया गया। इतना ही नहीं उन्हें रोकने के लिये पुलिस का जाब्ता भी बुलाया गया। कोटगेट थानाधिकारी विश्वजीत सिंह भी मौके पर पहुंचे। लेकिन राज्यश्री कुमारी,उनके विधि सलाहकार एडवोकेट कमल नारायण पुरोहित और अविनाश व्यास को प्रवेश की आज्ञा नहीं दी गई। प्रवेश को लेकर करीब एक घंटे तक दोनों पक्षों की ओर से वाद प्रतिवाद चलता रहा। वहीं राजश्री कुमारी के अधिवक्ताओं की ओर से 13 अक्टूबर को न्यायालय की ओर से सुनाए गये फैसले की कॉपी भी पुलिस को दिखाई गई। किन्तु पुलिस ने किसी प्रकार से प्रवेश नहीं दिया गया। तो सिद्धिकुमारी के अधिवक्ता अशोक व्यास ने ऐसे किसी प्रकार के फैसले को सही नहीं बताया। जिसके चलते राज्यश्री कुमारी को वापस लौटना पड़ा। राज्यश्री का तर्क था कि मंदिर दर्शन करने के आने की सूचना दी गई थी।राज्यश्री कुमारी बोलीं कि हमें न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि जूनागढ़ किले में हमारे मंदिर है। अगर मुझे मंदिर में ही जाने पर रोका गया तो गलत है। आज ही पूर्व महाराजा नरेंद्र सिंह की पुण्यतिथि है,लेकिन आज ही के दिन उनकी बहन को किले में बने मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया।राज्यश्री के निजी सचिव गोविंद सिंह ने कहा कि एडीजे कोर्ट तीन ने राज्यश्री कुमारी के प्रशासक होने और सम्पतियों पर कब्जा व हिसाब-किताब का नियंत्रण होने के तथ्य को सही मानते हुए राज्यश्री के प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया है। साथ ही चल अचल संपत्तियों के संचालन के योग्य माना है।इसी निर्णय के आधार पर राज्यश्री का स्टाफ जूनागढ़ पहुंचा था। जहां उनके आने की सूचना पहले पहुंच गई। ऐसे में प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड और पुलिस ने राज्यश्री व उनके स्टाफ को अंदर जाने से रोक दिया था।

बीकानेर पूर्व से भाजपा विधायक सिद्धि कुमारी पर राज्यश्री कुमारी ने पहले भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका आरोप है कि सरकार और विधायकी के दबाव में मनमानी कर रही है। जिसके चलते आज मंदिर के दर्शनार्थ भी पुलिस बुलाई गई है ताकि वे मंदिर में प्रवेश न कर सकें। उन्होंने कानून व्यवस्था पर भरोसा जताया और कहा कि उन्हें न्याय जरूर मिलेगा। हालांकि सिद्धि कुमारी की ओर से अभी तक इस मामले में कोई बयान जारी नहीं किया गया है।

डॉ. करणी सिंह की वसीयत में उनकी संपत्ति से जुड़े ट्रस्टों की देखरेख के लिए कुल 5 प्रशासक बनाए गए थे। इनमें डॉ.करणी सिंह की पत्नी सुशीला कुमारी,राजसिंह डूंगरपुर,अरविंद सिंह मेवाड़,मानेकशा और राज्यश्री बतौर प्रशासक रहे। जब तक सुशीला कुमारी जीवित थी,तब तक इसका स ंचालन उन्होंने ही किया। पांच में से चार प्रशासक की मृत्यु के बाद राज्यश्री अकेली प्रशासक रही हैं। इसी को आधार बनाते हुए सिद्धि कुमारी ने उनके प्रशासकशिप को ही चुनौती दी थी। सुशीला कुमारी की मृत्यु के बाद उनकी बेटी सिद्धि कुमारी ने संपत्तियों पर अपना अधिकार जताया। बाद में सिद्धि कुमारी ने अदालत में केस दायर कर दिया। कोर्ट से मिले स्टे को राज्यश्री कुमारी ने अपने पक्ष में माना पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी के देहांत के बाद सिद्धि कुमारी ने जिला न्यायाधीश संख्या तीन में एक वाद प्रिंसेस राज्यश्री कुमारी व प्रिंसेस मधुलिका कुमारी समेत अन्य के खिलाफ केस दायर किया। इसमें सिद्धि कुमारी ने राज्यश्री के नियंत्रण से संपत्तियों, हिसाब-किताब का नियंत्रण और कब्जा मांगा था। इस पर राज्यश्री ने कोर्ट में कहा कि सिद्धि कुमारी मान रही है कि सम्पतियों का नियंत्रण व हिसाब किताब प्रशासक के रूप में उनके पास है,तो फिर सिद्धि कुमारी अवैध रूप से इन संपत्तियों को खुर्द-बुर्द करने का प्रयास कर रही है।ऐसे में कोर्ट ने कहा कि जब तक केस में फैसला नहीं होता,तब तक स्टे रहेगा। इस स्टे को राज्यश्री ने अपने पक्ष में माना है। इसके बाद राज्यश्री ने फिर से ट्रस्ट पर स्वयं के अधिकार का दावा किया है।

महाराजा करणी सिंह के समय और इसके बाद कुछ ट्रस्ट गठित किए गए। इनमें महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट,महाराजा राय सिंह ट्रस्ट,करणी सिंह फाउंडेशन,करणी चैरिटेबल ट्रस्ट और महारानी सुशीला कुमारी ट्रस्ट का गठन किया गया। इन पांचों ट्रस्ट को पहले करणी सिंह की बेटी राज्यश्री कुमारी ही देखती थीं।महाराजा करणी सिंह ने राज्यश्री को कुछ अधिकार दिए थे। इसके बाद अधिकांश ट्रस्ट में राज्यश्री ही सर्वेसर्वा रहीं।

वर्तमान में गंगा सिंह ट्रस्ट के अधीन लालगढ़ पैलेस और लक्ष्मी निवास पैलेस हैं। ये दोनों फाइव स्टार होटल के रूप में संचालित हो रहे हैं। लालगढ़ और लक्ष्मी निवास की मौजूदा कीमत अरबों रुपए में आंकी जा रही है। दोनों पैलेस एक ही परिसर में कई बीघा जमीन पर हैं। बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धि कुमारी लालगढ़ के ही एक हिस्से में रहती हैं। पहले पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी (पूर्व महाराजा करणी सिंह की पत्नी) भी लालगढ़ के इसी हिस्से में रहती थीं। उनके निधन के बाद से सिद्धि कुमारी यहां रहती हैं।

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