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बीकानेर में चलाया जा रहा शुद्ध के लिये युद्ध अभियान हर साल की तरह इस बार भी फ्लाप शो साबित हो रहा है। अभियान में जुटे सीएमएचओं और खाद्य निरीक्षक औपचारिकता निभाने के लिये मिलावट माफियाओं के ठिकानों पर दबिश देने के बजाय गिने चुके मावा, मिठाई, नमकीन और दूध व्यवसायों के ठिकानों पर कार्यवाही करने में जुटी है। जबकि खाद्य पदार्थों में मिलावट के कुख्यात और नामी मिलावटखोर अभियान की कार्यवाही से बचे हुए है। जबकि स्वास्थ्य विभाग निदेशालय से आदेश जारी किया गया था कि अभियान चलाकर खाद्य तेल और मिर्च मसालों की जांच और सैंपलिंग को जाए। यह देखा जाए कि दुकानदारों द्वारा एक बार उपयोग किए गए तेल को बार-बार खाद्य वस्तुएं तलने के काम में तो नहीं लिया जा रहा? हैरानी की बात तो यह है कि शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत खास तौर से खाद्य तेल और मिर्च मसालो की जांच करनी थी। संदिग्ध लगने पर एक्ट के तहत उसका सैंपल लिया जाना था। लेकिन बीकानेर में चल रहे शुद्ध के लिये युद्ध अभियान में अभी तक एक भी खाद्य तेल कारोबारी और मिर्च मसाला कारोबारी के यहां जांच कार्यवाही नहीं की है।

देखने में ही लगते है सदिग्ध

जानकारी के अनुसार मिलावट माफिया कृष्ण और अशीष मोदी की फैक्ट्रियों में बनने वाले मिर्च मसाले शहर के फड़बाजार, बड़ा बाजार, गंगाशहर, नापासर, नोखा, श्रीडूंगरगढ़ समेत आस-पास के प्रमुख कस्बों और गांवों में किराना दुकानों पर थोक के भाव बिकता है, कई जगहों पर पांच-पांच रुपए में पैवड पिसा हल्दी, मिर्च पाउडर दुकानों से फुटकर बेचा जा रहा है। जिनमें गुणवत्ता जैसी कोई चीज नजर नहीं आती। इनमें बड़ी-छोटी सहित लोकल कम्पनियों के ब्रांड शमिल हैं। ग्राहकों को लुभाने के लिए आकर्षक पैक बनाए गए हैं, जिसमें बैच नंबर से लेकर निर्माण तिथि अकित रहती है। इन पैक पर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण का चिन्ह नहीं होना संदेश पैदा कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार मिर्च-मसालों का स्वाद कुछ ही देर में पूरे मुह में कड़वापन पैदा कर देता है। यह कड़वापन इसकी असली पहचान है कि उस पाउडर में एसेंस और रंग मिलाया गया है। मसाला हाथ में लेने पर उसका रंग उभर आता है। बाजार में ऐसे एसेंस और चटकदार रंग हैं जिनसे दुकानों पर इन खाद्यान को देखकर पहचान पाना मुश्किल होता है कि इसलिये मिलावटखोर शुद्ध मिर्च मसालों की आड़ में अस्सी फिसदी मिलावटी मिर्च मसाले ही बेचते हैं।

आकर्षक पैकिंगों में बिकते है मिलावटी मसालें

खाद्य कारोबारियों के अनुसार पैकिंग वाले ब्रांडेड मसालों को लोग भरोसे के साथ इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये भी नकली आ रहे हैं। ऐसे में मुश्किल हो जाती है। इसके अलावा पिसे मसालों को परखने की प्रक्रिया बहुत आसान नहीं होती। जिसके चलते बाजार में खरीदते समय अकसर ग्राहक धोखा खा जाते हैं। प्रशासन की ओर से कार्रवाई न किए जाने का ही नतीजा है कि मिलावट का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। जिसका खामियाजा आम आदमी भुगत रहा है। मिर्च मसालों में मिलावट सीधे-सीधे मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करते है। जिम्मेदार लोगों को इस तरह कार्रवाई करनी होगी कि आमजन तक शुद्ध खाद्य पदार्थ पहुंचें।

खुले में बिक्री पर है रोक

सरकार ने बाजार में खुले मसाले व अन्य खाद्य पदार्थ सामग्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद भी जिले में खुले में मिर्च-मसाले व अन्य सामग्रियां बिक रही हैं। विक्रेता नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसके बावजूद चिकित्सा विभाग कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जबकि इन दिनों दीपावली पर्व का सीजन चल रहा है। त्योहार को देखते हुए बाजार में खुले में बिक रहे खाद्य पदार्थों से लोगों की सेहत के लिए भी नुकसानदायक है।

बीकानेर जग जाहिर है कि मिर्च मसालों की मिलावटखोरी में बीकानेर प्रदेश का प्रमुख शहर है। पुख्ता जानकारी है कि मिलावटी मिर्च मसालों के माफिया यहां सालों से मिलावटखोरी का कारोबार चला है। मिर्च मसालों की मिलावटखौरी में कृष्ण मोदी और आशीष मोदी नामक दो माफियाओं का नाम भी उजागर हो चुका है, इनकी बीछवाल, खारा और करणी औद्योगिक क्षेत्र की कई फैक्ट्रियों में हजारों टन मिलावटी मिर्च मसाला तैयार किया जाकर फड़ बाजार के ठिकानों से बीकानेर के बड़े खाद्य प्रतिष्ठानों, होटलों, ढाबों और रेस्टोरेंट्स में सप्लाई किया जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि स्वास्थ्य

विभाग के अधिकारियों को मिलावटी मिर्च

मसाला माफियाओं के बारे में पुख्ता तौर पर जानकारी है, इसके बावजूद स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने आज तक कृष्ण मोदी और आशीष मोदी की फैक्ट्रियों, प्रतिष्ठानों और गोदामों पर छापा नहीं मारा मिर्च मसालों की मिलावटखौरी जगत में किंग बने इन दोनों माफियाओं का नेटवर्क संभागभर के मिलावटी मिर्च मसाला कारोबारियों के साथ जुड़ा है। जानकारी के अनुसार इन मिलावट माफियाओं की फैक्ट्रियों में मिर्च, हल्दी व धनियां आदि मसालों में लकड़ी का बुरादा, चूरी, मूंगफली छीलकों का कचरा तक मिलाया जाता है, इसके लिये मसालों को चमकीला बनाने के लिए केमिकल उपयोग किया जाता है।

इनमें जिस तरह के रंगों का उपयोग किया जा रहा था वो प्रोसेस हाउसों में कपड़े रंगने के काम आता है। इन मसालों का ज्यादात्तर इस्तेमाल होटलों, ढाबों और रेस्टोरेंटों वाले करते है। इसके अलावा राजकीय होस्टलों, कारागार, पुलिस मैस, होस्पीटल की केन्द्रीय रसोई, सेना की मैस भी मिलावटी मिर्च मसालों की सप्लाई होती है। मिलावट माफियाओं ने यहां कई ब्रांडेड मसालों के डूप्लीकेट ब्रांड भी बाजार में उतार रखे है।

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