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बीकानेर,सीकर शहर में नामी गैंगस्टर राजू ठेहठ की दिनदहाड़े हत्या के बाद राजस्थान का नाम देशभर में एक बार फिर से गैंगवार को लेकर चर्चाओं में है.एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस हत्याकांड की जिम्मेदारी राजस्थान में बीकानेर के रहने वाले गैंगस्टर रोहित गोदारा ने ली. जिसने खुद को लॉरेंस विश्नोई ग्रुप का बताते हुए शेखावाटी के गैंगस्टर आनंदपाल सिंह और बलबीर बानूड़ा की मौत का बदला लेने के लिए राजू ठेहठ की हत्या करने की बात कही है. राजस्‍थान में पहली गैंगवार 25 साल पहले भेराराम हत्‍याकांड से हुई थी. अब राजस्थान में छोटे और बड़े गैंग्स सक्रिय हैं जो आपस में वर्चस्‍व की लड़ाई में खूनखराबा करने से भी नहीं हिचकते.

सूत्रों की मानें तो राजू ठेहठ, केशर दुगोली, श्यामा बिडोली व बलबीर बानूड़ा एक साथ अवैध शराब का कारोबार कर रहे थे. लेकिन शराब के कारोबार में वर्चस्व को लेकर इन बदमाशों में दरार पड़ती गई. ऐसे में सीकर में दो गैंग बनी. इनमें एक बलबीर बानूड़ा की गैंग बनी. बानूड़ा की गैंग में आनंदपाल भी शामिल हो गया. वहीं, दूसरी गैंग राजू ठेहठ की गैंग बनी. इनमें करीब 200 से ज्यादा बदमाश शामिल हो गए थे. इन गैंग्स के वर्चस्व की लड़ाई में शेखावाटी की धरती पर खूनी संघर्ष शुरु हुआ. इसमें शीशराम, विजयपाल और गोपाल फोगावट हत्याकांड के जुर्म सामने आए. 13 साल में शेखावाटी के सीकर, चुरु व झुंझुनूं में आपसी रंजिश व वर्चस्व की लड़ाई में करीब 20 हत्याएं हुई. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हुए. इन बदमाशों को जातिगत व राजनीतिक संरक्षण भी मिलने लगा. यहीं शेखावाटी के बाद मारवाड़, मेवाड़, ढूंढाढ़, हाड़ोती मेंअलग अलग गैंग बनने लगी.

राजस्थान में ये है सबसे चर्चित पांच मौजूदा बड़ी गैंग

गैंगस्टर आनंदपाल सिंह

शेखावाटी में सालों पहले शुरु हुई गैंग्स में गैंगस्टर आनंदपाल सिंह का नाम पुलिस की सूची में सबसे ऊपर था. राजस्थान में आनंदपाल सिंह के नाम का खौफ इतना था कि पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए 10 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया था. आनंदपाल सिंह और बलबीर बानूडा मिलकर अपनी गैंग चला रहे थे. लेकिन वर्ष 2014 में बीकानेर जेल में हुई गैंगवार में राजू ठेहठ की गैंग ने बलबीर बानूड़ा की सलाखों के बीच फायरिंग करवाकर हत्या करवा दी थी. अपने दोस्त बलबीर बानूड़ा की हत्या का बदला लेने के लिए आनंदपाल की राजू ठेहठ से दुश्मनी और बढ़ गई थी. जिसमें आनंदपाल ने बानूड़ा के हत्यारे रामपाल और जयप्रकाश की जेल में फायरिंग कर हत्या करवा दी. शेखावाटी के बाहर आनंदपाल की गैंग अन्य जिलों में भी पनपने लगी. अपनी लाइफ स्टाइल की वजह से भी आनंदपाल चर्चाओं में रहने लगा. शेखावाटी के कई युवा आनंदपाल की गैंग से जुड़ने लगे.कोर्ट में पेशी के दौरान 2 साथियों के साथ भागा था आनंदपाल

इस बीच 7 साल पहले आनंदपाल सिंह नागौर में पेशी के दौरान पुलिस को गच्चा देकर भाग निकला. उसने नाकाबंदी के दौरान मौजूद एक पुलिस कांस्टेबल खुमाराम की गोली मारकर हत्या कर दी. तब से राजस्थान पुलिस को आनंदपाल की तलाश थी. वर्ष 2017 में आनंदपाल सिंह के चुरू जिले के मालासर में एक मकान में फरारी काटने की सूचना मिली. तब चुरू पुलिस और एटीएस एसओजी की टीम ने आनंदपाल को एनकाउंटर में मार गिराया. आनंदपाल की एनकाउंटर में मौत के बाद उसकी गैंग को लेडी डॉन अनुराधा, सुभाष नेहरा, आनंदपाल का भाई मंजीत सिंह ने संभाला. इसके अलावा रोहित गोदारा, सुभाष बराड़ जैसे कुछ और नाम थे.
गैंगस्टर राजू ठेहठ

वर्ष 2017 में आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के बाद उसकी गैंग बिखर गई थी. ऐसे में राजू ठेहठ गैंग का शेखावाटी में वर्चस्व बढ़ गया था. दर्जनों में मुकदमों में आरोपी रहे राजू ठेहठ की गैंग का गैंगस्टर आनंदपाल की मौत के बाद कोई विरोधी गुट नहीं रहा था. ऐसे में राजू ठेहठ ने अपराध से अलग राजनीति में आने का फैसला कर लिया था. शराब और माइनिंग के कारोबार और धमकियां देकर मोटी रकम मांगने का काम राजू ठेहठ की गैंग के सदस्य कर रहे थे. वहीं, राजू ठेहठ ने अपना ठिकाना सीकर से अलग जयपुर को बनाया. यहां राजू ठेहठ ने इसी साल महेश नगर इलाके में एक भाजपा नेता का आलीशान बंगला करोड़ों रुपए में खरीदा.
कमिश्नरेट पुलिस ने राजू ठेहठ को जयपुर छोड़ने पर किया मजबूर

लेकिन राजू ठेहठ के जयपुर में रहने की सूचना पर पुलिस हरकत में आई. राजू ठेहठ को 3 मार्च 2022 को महेश नगर पुलिस ने गिरफ्तार किया. उसे धमकाकर वसूली के मामले में भांकरोटा में गिरफ्तार किया गया. जयपुर कमिश्नरेट की पुलिस ने राजू ठेहठ को जयपुर छोड़ने पर मजबूर कर दिया. ऐसे में राजू ठेहठ सीकर में ही अपने ठिकाने पर परिवार के सदस्यों के साथ रहने लगा. राजू ठेहठ शेखावाटी में बड़ा गैंगस्टर था. उसकी गैंग में वर्तमान में करीब 200 से ज्यादा लोग सक्रिय थे. लेकिन 3 दिसंबर को राजू ठेहठ को गैंगवार में अंधाधुंध फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया गया. शेखावाटी में राजू ठेठ की गैंग “RTG GROUP” के नाम से चलती है. जिसमें उसके भाई ओम ठेहठ और कई नाम शामिल है.गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई

राजस्थान में पिछले पांच साल में पंजाब के नामी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम उभरकर सामने आया है. प्रदेश में इस वक्त लॉरेंस बिश्नोई का नाम गैंगस्टर की सूची में सबसे ऊपर है. वर्ष 2017 में आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ. उसकी गैंग बिखरकर कमजोर पड़ गई थी. उसकी गैंग के कई सदस्य बड़े गैंगस्टर की छत्रछाया में आना चाह रहे थे. तब ये काम किया पंजाब के गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके शॉर्प शूटर संपत नेहरा ने. वर्ष 2017 में एक हत्या की सुपारी लेकर जोधपुर में आए लॉरेंस बिश्नोई को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. तभी से लॉरेंस ने राजस्थान को अपना ठिकाना बनाया. उसने आनंदपाल सिंह गैंग से जुड़े बदमाशों को अपनी गैंग में जगह देकर राजस्थान में अपनी गैंग खड़ी कर दी. ये बदमाश लॉरेंस बिश्नोई के नाम से प्रदेश के बड़े कारोबारियों को धमकाकर रंगदारी वसूलने, सुपारी लेकर मर्डर करने और जमीनों पर कब्जे के बड़े कारोबार कर रहे है.जयपुर के कारोबारी से रंगदारी वसूलने में हुए थे लॉरेंस व संपत नेहरा गिरफ्तार

एक साल पहले जयपुर व चुरु के एक कारोबारी को धमकाकर वसूली के मामले में जवाहर नगर पुलिस ने तिहाड़ जेल से लॉरेंस बिश्नोई और संपत नेहरा को गिरफ्तार किया था. बीकानेर में लूणकरणसर का रोहित गोदारा, जो कभी आनंदपाल सिंह और बलबीर बानूडा की गैंग का गुर्गा हुआ करता था. रोहित गोदारा ने ही लॉरेंस बिश्नोई के इशारे पर पंजाब में सिद्धू मुसावाला हत्याकांड के लिए गाड़ियां उपलब्ध करवाई थीं. दानाराम सिहाग और अन्य शूटर उपलब्ध करवाए थे. फिलहाल लॉरेंस बिश्नोई और संपत नेहरा तिहाड़ जेल में बंद है. लेकिन उनका गैंग राजस्थान के कई जिलों में जेल से ही ऑपरेट किया जा रहे है. राजू ठेहठ हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले रोहित गोदारा की फेसबुक पोस्ट में भी खुद को लॉरेंस बिश्नोई ग्रुप का बताया है.मारवाड़ की राजू मांजू, कैलाश मांजू गैंग

आनंदपाल की मौत के बाद मारवाड़ अंचल यानी खासतौर पर जोधपुर में गैंगस्टर राजू मांजू ने अपनी गैंग को बढ़ाना शुरु कर दिया. ये गैंग 007 के लीडर के नाम से मारवाड़ में पहचान बनाने लगी. राजू मांजू के अलावा कैलाश मांजू भी मारवाड़ में बड़े गैंगस्टरों में शामिल है. इनकी गैंग का, भंवरी देवी हत्याकांड में नामजद आरोपी बिशनाराम विश्नोई की गैंग से गैंगवार चल रही है. ये गैंग जोधपुर और आसपास के जिलों में फायरिंग और रंगदारी के अलावा जमीनों पर कब्जे के अवैध कारोबार में लिप्त बताई जा रही है. सोशल मीडिया पर भी यही गैंग फायरिंग और हथियारों के साथ वीडियो अपलोड कर चर्चाओं में रही है. वहीं, राजू मांजू, कैलाश मांजू और बिशनाराम बिश्नोई के अलावा मारवाड़ में राजू फौजी का दबदबा भी बढ़ रहा है. राजू फौजी भी दो पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद चर्चाओं में आया था. ऐसे में यहां भी गैंग्स पर लॉरेंस बिश्नोई का प्रभाव साफ नजर आ रहा है.अलवर में गैंगस्टर विक्रम उर्फ लादेन

गैंगस्टर विक्रम गुर्जर उर्फ लादेन, जो कि अलवर जिले के पहाड़ी गांव का रहने वाला है. विक्रम उर्फ लादेन ने अपने गैंग का नाम ही लादेन गैंग रखा हुआ है. विक्रम लादेन का कनेक्शन कई गैंगस्टरों के साथ भी है जिसमें लॉरेंस बिश्नोई जैसे खतरनाक गैंगस्टर भी शामिल है. फिलहाल लादेन जेल की सलाखों के पीछे बताया जा रहा है. उसके खिलाफ भी अलवर व अन्य जगहों पर कई दर्जन संगीन अपराधों के केस दर्ज है. हाड़ोती की शिवराज सिंह गैंगहाड़ौती यानी कोटा, बूंदी और बारां जिले. इन इलाके के अपराध जगत में कुख्यात अपराधी शिवराज सिंह की गैंग काफी सक्रिय है. जिन्होंने अपने जानी दुश्मन भानू गैंग को खत्म कर हाड़ोती के अपराध जगत पर कब्जा जमाने के लिए हिस्ट्रीशीटर रणवीर चौधरी की कोटा में श्रीनाथपुरम स्टेडियम के पास गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी. भानु गैंग तकरीबन खत्म होने के कगार पर है. इस बीच हिस्ट्रीशीटर रणवीर इस गैंग के सदस्यों को एकजुट करने में जुटा हुआ था. जमीनों पर कब्जे करने और कब्जे खाली करवाने में सक्रिय इस गैंग के सरगना बने रणवीर को वर्चस्व की लड़ाई में शिवराज सिंह गैंग ने दिनदहाड़े मार डाला था.अपराध और अपराधियों से निपटने के लिए सख्त निर्देश:

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि प्रदेश में अपराध को किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. गैंगवार की घटनाएं चिंताजनक है. बदमाश विदेशों में बैठकर धमका रहे हैं. इनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने के निर्देश सभी जिला एसपी को दिए हैं. वहीं, अपराधियों से मिलीभगत सामने आने पर पुलिसकर्मी को भी बर्खास्त किया जाएगा.

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