बीकानेर, सिद्ध समाज के लोक सेवकों का प्रथम सम्मेलन रविवार को सिद्ध धर्मशाला में आयोजित हुआ।इसकी शुरुआत जसनाथ जी महाराज की पूजा के साथ हुई।
इस दौरान सिद्ध समाज के सभी लोक सेवकों ने समाज के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने व समाज सेवा और सामाजिक उन्नति के लिए कार्य करने का आह्वान किया।
आरएसी तीसरी बटालियन के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गणेशनाथ सिद्ध ने कहा कि समाज के लोक सेवक सामाजिक एकता और पहचान बढ़ाने की दिशा में कार्य करें। ट्रस्ट व देवस्थलों के विकास अपनी भागीदारी निभाएं। इस दौरान उन्होंने जसनाथ जी की तपस्थली गंगाशहर में अवैध कब्जे की दिशा में कार्यवाही करने की बात कही।
सेवानिवृत्त तहसीलदार बीरबल नाथ सिद्ध ने कहा कि शिक्षा में सिद्ध समाज का वर्चस्व बढ़ाने के साथ-साथ संस्कारों को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने की आवश्यकता है। हमारे पूर्वजों ने अपने समाज की पहचान व विरासत दी, उसे बनाए रखने का कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि समाज को उनसे बहुत अपेक्षाएं हैं, जिन पर खरा उतरना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि लोक सेवक ऐसी संहिता बनाए जिसके माध्यम से मर्यादाओं का पालन होते हुए समाज सही दिशा में आगे बढ़ सके।
सिद्ध शिव नाथ गोदारा ने बताया कि जसनाथ जी महाराज ने आज से 500 वर्ष पूर्व हमें पर्यावरण चेतना की सीख दी। छत्तीस नियमों में पर्यावरण संरक्षण को महत्व दिया। आज हम उनके बताए रास्ते से भटक रहे हैं। नारी शक्ति को सम्मान देने, नशा मुक्त समाज की स्थापना करने, शिक्षा के साथ संस्कार देने, तामसिक वृत्तियों से दूर रहने, सनातन संस्कृति को अपनाने संबंधी 36 नियम आज समाज भूल रहा है।
देव नाथ बेनिसर ने बालिका शिक्षा को जोर देने की बात कही। दुर्ग नाथ ज्याणी ने पर्यावरण चेतना पर बल देते हुए बताया कि यह ऐसा क्षेत्र है, जिसके लिए हमें सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है।
बीरबल नाथ गोदारा ने केंद्र में सिद्ध समाज के लिए आरक्षण की पैरवी करने की बात कही। हरिराम सिद्ध, मनी राम बाना, बीरबल नाथ गोदारा, धर्म नाथ खेराट, शिव नारायण भारी, बहादुर मल भारी, डॉ हिराम नाथ, जशोदा सिद्ध, हरिराम नाथ बादडिया, ओम नाथ उपनी, देवनाथ बेनिसर, सूरज नाथ मंडा, रेसा अध्यक्ष सिद्ध कृष्ण गोदारा आदि सिद्ध पुरुष लोक सेवकों ने संबोधित कर समाज की उन्नति के लिए समर्पित भाव से कार्य करने का संकल्प लिया।
इस दौरान डॉ नंदकिशोर सिद्ध, बलवीर सिद्ध, लाल नाथ सिद्ध, सांवर नाथ सिद्ध, परम नाथ सिद्ध, शंकर नाथ सिद्ध, लक्ष्मण नाथ सिद्ध, जिज्ञासु सिद्ध, बजरंग सिद्ध, गोरख नाथ सिद्ध एवं अन्य लोक सेवक मौजूद रहे।