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बीकानेर,भारत की आजादी का पर्व इस बार खास होने जा रहा है। 15 अगस्त, 2022 को आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) चल रहा है।इस अवसर पर हम आपको बता रहे हैं देश के उन मशहूर कार्टूनिस्ट के बारें में, जिन्होंने अपने कार्टून से न सिर्फ भारत को नई राह दिखाई बल्कि समाज की आवाज भी बने। उनके बनाए कार्टून आज भी लोगों के चेहरे पस मुस्कान ला देते हैं। ‘Best of Bharat’सीरीज में बात जाने-माने कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग (Sudhir Tailang) की…

बीकानेर का एक युवा जो लाखों दिलों पर छा गया
जाने-माने कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का जन्म राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर (Bikaner) में 26 फरवरी 1960 को हुआ था। सुधीर तैलंग हमेशा ही समाज की आवाज बने। अपने कार्टून से उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक और समसामयिक घटनाओं पर उन्होंने टिप्पणी की। तैलंग की ‘नो, प्राइम मिनिस्टर’ कार्टून्स वाली किताब सबसे ज्यादा चर्चा में रही।

10 साल की छोटी उम्र में पहला कार्टून बनाया
सुधीर तैलंग बचपन से ही कार्टून की ओर आकर्षित रहे। बचपन में उन्हें टिनटिन फैंटम और ब्लॉन्डी जैसे कार्टून काफी पसंद आते थे। कहा जाता है कि इन्हीं से प्रेरित होकर उन्होंने कार्टून बनाना शुरू किया था। जब वह 10 साल के थे, तभी पहला कार्टून बना दिया था। उनका यह कार्टून अखबार में छपा तो छोटी सी उम्र में ही वे चर्चा में आ गए।

बतौर कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग का करियर
तैलंग के करियर की शुरुआत इलस्‍ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया से हुई। साल 1982 में उन्होंने मुंबई में काम शुरू किया। इसके बाद उन्होंने कई बड़े हिंदी, इंग्लिश अखबारों के साथ काम किया और उन्हें खूब पहचान मिली। देश के अलावा विदेशों में भी उनके कार्टून्स के एग्जीबिशन लगते थे। तैलंग हमेशा ही लीक से हटकर एक अलग स्टाइल में ही तीखा व्यंग्य करते थे, जो आम आदमी तक पहुंचती थी।

पद्मश्री सुधीर तैलंग
कार्टून के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें साल 2004 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनकी किताब नो प्राइम मिनिस्टर साल 2009 में प्रकाशित हुई, तो उन्हें और भी पॉपुलैरिटी मिली। 6 फरवरी, 2016 में महज 55 साल की उम्र में ही उन्होंने अंतिम सांस ली लेकिन उनके कार्टून इतने जीवंत हैं कि आज भी लोगों को मुस्कराने पर मजबूर कर देते हैं.

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