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बीकानेर. सेना भर्ती (अग्निवीर) के चलते रोडवेज ने जिले के ग्रामीण अंचलों में जाने वाली कई बसों को बंद कर दिया है। इन रूटों पर चलने वाली बसों को सेना भर्ती के अभ्यर्थियों को लाने-ले-जाने के लिए लगाया गया है। इन गांवों में रोडवेज बसें ही एकमात्र आवागमन का साधन होने के बावजूद रोडवेज प्रबंधन की ओर से बसों को बंद करने से ग्रामीण खफा हैं। उनका कहना है कि रोडवेज प्रबंधन एवं सरकार की ऐसी नीति ही उसे घाटे से उबरने नहीं दे रही है।

प्रतियोगी परीक्षा हो या अन्य सरकारी घोषणा, उस दरम्यान जिले के ग्रामीण रूट की बसों को ही बंद किया जाता है। ऐसे में सालों की मेहनत से जमाए गए रूट पर यात्रियों का भार कम होने लगता है। साथ ही निजी बस संचालक ग्रामीणों से डेढ से दो गुना किराया वसूलने लगते हैं। ग्रामीण अंचल से तहसील व जिला मुख्यालय पर आने के लिए कोई अन्य साधन नहीं होने से ग्रामीणों को मजबूरन अधिक किराया देकर सफर करना पड़ता है।

फायदे वाले हैं सभी रूट
रोडवेज ने जिन रूटों की बसों को बंद किया है, इन पर चलने वाली सभी बसें फायदे वाली हैं। यात्री भार भी उत्कृष्ट है। यह बसें ग्रामीणों ने बमुश्किल शुरू करवाई थीं। तब रोडवेज को उन्होंने यात्रीभार का भरोसा दिलाया था। अब इन गांवों से बसों को अच्छा यात्री भार मिल रहा है। इन रूट की बसें 25 से 30 रुपए किलोमीटर का फायदा रोडवेज आगार को दे रही हैं। इस लिहाज से हर दिन हजारों का राजस्व नुकसान भी हो रहा है। रोडवेज के एक कर्मचारी ने सशर्त बताया कि रोडवेज प्रबंधन की नीतियों के चलते ही रोडवेज घाटे में चल रही है। जिन बसों को रूट पर जमाने में सालों लगे थे, उन्हें आए दिन बंद कर यात्रीभार को कम करना जोखिम लेने जैसा ही है। इससे सीधा नुकसान रोडवेज को और फायदा निजी बसों को पहुंच रहा है।

यह बसें की बंद

– लूणकरनसर से शेखसर
– बीकानेर से पांचू वाया जेगला

– बीकानेर से नोखा, पांचू वाया धरनोक
– बीकानेर से कालू

– बीकानेर से हनुमानगढ़ सुबह नौ बजे
– बीकानेर से गंगानगर वाया अनूपगढ़

– बीकानेर से हनुमानगढ़ सुबह साढ़े ग्यारह बजे
– बीकानेर से भीलवाड़ा साढ़े 12 बजे

– बीकानेर से नापासर एक बस बंद

इनकी पीड़ा…

रोडवेज बस को ग्रामीणों ने ही जमाया। रोडवेज को यात्री भार देखते हुए एक और बस शुरू करनी चाहिए, जबकि आए दिन इस बस के रूट को कैंसिल कर दिया जाता है। ग्रामीणों को निजी व अन्य वाहनों से तहसील मुख्यालय जाना पड़ता है, जिससे अनावश्यक खर्च होता है। रोडवेज प्रबंधन गांव की बस को बंद नहीं करे। सेना भर्ती व अन्य जगह जरूरत हो, तो अतिरिक्त बसों की व्यवस्था करें। रूट की बसों के साथ छेड़छाड़ नहीं करें। – भागीरथ डूडी, सरपंच प्रतिनिधि खोडाला

इनका कहना है
रोडवेज के पास सीमित संसाधन हैं। ऐसे में किसी न किसी रूट की बस को सेना भर्ती के लिए लगाना ही था। कुछेक ग्रामीण व एक-दो राजमार्ग के रूट की बसाें को लगाया गया है। सेना भर्ती के बाद व्यवस्था पहले की भांति सुचारु हो जाएगी। नेमीचंद प्रजापत, कार्यवाहक मुख्य प्रबंधक, राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम बीकानेर आगार

इनका कहना है…
सेना भर्ती के लिए बसों की व्यवस्था करना रोडवेज का काम है, लेकिन ग्रामीण रूट पर जमी बसों को लगाना गलत है। इस बारे में बात की जाएगी। – भगवतीप्रसाद, जिला कलक्टर

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