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बीकानेर, दिवाली के बाद छठ पूजा का पर्व का विशेष महत्व वैसे तो बिहार में है मगर छोटीकाशी बीकानेर में भी छठ पूजा का उत्साह भरपूर दिखाई दे रहा है बीकानेर के औद्योगिक क्षेत्र में बहुत से श्रमिक बिहार झारखंड वह पूर्वी उत्तर प्रदेश से कामकाज के लिए यहां पर बसे हैं बीकानेर में भी छठ पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ महिलाओं के 3 दिन के व्रत से शुरुआत हो गई है आज शाम को डूबते हुए सूरज को अर्घ देने का विशेष आयोजन व्रत वासी महिलाओं द्वारा किया गया छठ पूजा का सेलिब्रेशन शुरू हो गया है। दिवाली के बाद आने वाला यह त्योहार चार दिन तक सेलिब्रेट किया जाता है। बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग बड़े ही उत्साह के साथ इस त्योहार को मना रहे हैं। देश के दूसरों हिस्सों में भी छठ मनाई जा रही है। ‘नहाय-खाय’ से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई है।

नहाय-खाय के दिन कद्दू-भात का प्रसाद बनाया जाता है और व्रती इसे ग्रहण करते हैं। नहाय-खाय के दिन से घर में सात्विक भोजन बनने लगता है और साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दौरान व्रती भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। नहाने के बाद ही भोजन बनाया जाता है। छठ पर महिलाएं उपवास करती हैं और घुटने तक गहरे पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
छठ पूजा का कार्यक्रम
8 नवंबर 2021, सोमवार- (नहाय-खाय)
9 नवंबर 2021, मंगलवार-(खरना)
10 नवंबर 2021,बुधवार- (डूबते सूर्य को अर्घ्य)
11 नवंबर 2021, शुक्रवार- (उगते सूर्य को अर्घ्य)
छठ की पूजा सामग्री
छठ पूजा में विशेष सामग्रियों का इस्तेमाल होता है, जिनमें टोकरी, लोटा, फल, मिठाई, नरियल, गन्ना और हरी सब्जियां प्रमुख हैं। इसके अलावा दूध-जल के लिए एक ग्लास, शकरकंदी और सुथनी, पान, सुपारी और हल्दी, अदरक का हरा पौधा, बड़ा मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती का इस्तेमाल होता है। साथ ही कई लोग पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल और आटे से बना ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक और शहद भी प्रसाद के तौर पर देते हैं।

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