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बीकानेर,गंगाशहर, तेरापंथ भवन। पर्युषण महापर्व का आठवां व सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन आज संवत्सरी महापर्व  के रूप में तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें अधिशास्ता महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती मुनिश्री श्रेयांश कुमार जी एवं सुशिष्या शासनश्री साध्वीश्री शशिरेखा जी एवं साध्वी श्री ललितकला जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में मनाया गया। मुनिश्री श्रेयांश कुमार जी ने कहा कि संवत्सरी महापर्व एक आध्यात्मिक महापर्व है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति अध्यात्ममय हो जाता है। उन्होंने सुमधुर गीतिकाओं की प्रस्तुति दी। शासनश्री साध्वी श्री शशिरेखा जी ने कहा कि जैन धर्म का यह सबसे बड़ा पर्व है। अधिकांश लोग इस दिन उपवास करते है| सायंकालीन प्रतिक्रमण कर 84 लाख जीवयोनियों से क्षमायाचना करते हैं| अगला दिन क्षमापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष भर में संपर्क में आए प्रत्येक व्यक्ति से क्षमायाचना की जाती है। साध्वीश्री ललितकला जी ने भगवान महावीर के विभिन्न भवों के बारे में विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जैन धर्म में भगवान महावीर का स्मरण अनन्त श्रद्धा व आस्था के साथ किया जाता है। भगवान महावीर को दिए गए उपसर्गों की जानकारी दी। उन्होंने अपने उद्बोधन में क्षमा को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि कल क्षमापना का महत्वपूर्ण अवसर हमारे सामने है। हमारा जिस किसी के साथ भी कटु व्यवहार हो गया हो तो हमें आगे बढ़कर उससे अवश्य क्षमायाचना करनी चाहिए। साध्वी श्री मृदुलाकुमारी जी ने भगवान् अरिष्टनेमि के जीवनकाल के प्रसंगों में मुनि गजसुकुमाल व मुनि मेघकुमार के प्रसंग सुनाये। साध्वीश्री समृद्ध प्रभा जी ने महासती चंदनबाला के जीवन प्रसंग सुनाए। मुनिश्री विमल बिहारी जी, साध्वीश्री कांतप्रभा जी, साध्वीश्री रोहित प्रभा जी, साथ्वीश्री शीतलयशा जी व साध्वी श्री योगप्रभा जी ने तीर्थंकर परम्परा व आचार्य परम्परा आदि के बारे में अपने विचार व्यक्त किये। तेरापंथ सभा के मंत्री रतनलाल छलाणी ने बताया कि समग्र जैन समाज बीकानेर की ओर से जैन महासभा के तत्वावधान में तेरापंथ भवन गंगाशहर में 1 अक्टूबर को प्रातः 9:00 बजे सामूहिक क्षमायाचना समारोह आयोजित किया गया है।

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