बीकानेर,शिक्षकों को तबादले को लेकर किया जा रहा इंतजार लंबा होता जा रहा है। जून माह के आखिर में तबादला सूचियां जारी हो जाती हैं, लेकिन इस बार जुलाई भी शुरू हो गया लेकिन तबादला सूचियां अब तक नहीं बन पाई है। ऐसे में शिक्षक परेशान हैं। यही नहीं प्रधानाचार्यों से लेकर तृतीय श्रेणी के शिक्षक बैचेन नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि इस बार विभाग की ओर से तबादलों के लिए न तो ऑनलाइन आवेदन ही लिए हैं और न ही ऑफलाइन आवेदन के लिए कोई निर्देश ही जारी हुए हैं। इसलिए शिक्षकों की बैचैनी ज्यादा है। आवेदन नहीं लिए जाने से जिन शिक्षकों की राजनीतिक पहुंच है, वे तो अपने इच्छित स्थान पर आ जाएंगे, लेकिन बिना राजनीतिक पहुंच वाले शिक्षक शहरी क्षेत्रों में बैठे हैं, उन्हें दूर गांवों में भेजे जाने का डर सता रहा है। प्रधानाचार्यों से लेकर द्वितीय श्रेणी अध्यापकों के तबादलों के बारे में शिक्षा मंत्री डा. बी डी कल्ला कह चुके हैं कि इनके तबादले तो किए जाएंगे। लेकिन तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर शिक्षा मंत्री खुलकर नहीं बोल रहे। कभी वे इस वर्ग के शिक्षकों के तबादले नीति के अनुसार करने की बात कहते हैं, तो कभी जिले में ही तबादले करने के संकेत देते हैं, जबकि तृतीय श्रेणी शिक्षकों में सबसे बड़ा वर्ग अंतर जिला तबादलों का इंतजार कर रहा है। वर्षों से शिक्षक अपने गृह जिलों से दूर बैठे हैं तथा अब अपने गृह जिलों में आना चाहते हैं। विधायकों का भी शिक्षा मंत्री पर अंतर जिला तबादले करने का भारी दबाव है। ऐसे में शिक्षा मंत्री इस पर कैबिनेट तथा मुख्यमंत्री स्तर पर निर्णय होने की बात कहकर पीछा छुड़ाते दिखाई देते हैं।
पहले भी दो बार लिए जा चुके हैं आवेदन
तबादलों को लेकर तृतीय श्रेणी शिक्षकों से पहले भी दो बार ऑनलाइन आवेदन लिए का चुके हैं। अन्य संवर्गों के तबादले तो हो गए, लेकिन इस वर्ग के शिक्षकों के आवेदन फाइलों में ही दब गए। अब अगले वर्ष चुनाव हैं, तो उन्हें आस है कि उनके जन प्रतिनिधि उन्हें अपने गृह जिले में लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाकर राहत दिलाएंगे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो आगामी चुनावों में जन प्रतिनिधियों को लाखों तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। तृतीय श्रेणी शिक्षकों को उम्मीद थी कि बुधवार को हुई कैबिनेट मिटिंग में तबादलों पर कोई निर्णय जरूर लिया जाएगा,लेकिन कैबिनेट मिटिंग में इस पर कोई चर्चा ही नहीं हुई।