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बीकानेर, नशाखोरी की लत बीकानेर की नई पीढ़ी को तबाह कर रही है। चिंता की बात तो यह है कि नशे का सबसे घातक वर्जन एमडी (पार्टी ड्रग) अब बीकानेर तक पहुंच गया है। युवाओं के लिये बेहद खतरनाक इस नशे की खेप शहर से लेकर दूर दराज गांवो तक पहुंच गई है। पता चला है कि इस नशे की खेप फिलहाल जोधपुर और नागौर से आ रही है। यहां पटेल नगर, घड़सीसर, जामसर, मुरलीधर व्यास कॉलोनी में ऐसे कई पैडलर सक्रिय है जो युवाओं को एमडी ड्रग्स मुहैया करवा रहे है। मंहगा और पार्टी वैरायटी का नशा होने के कारण इसकी किमत भी चौंका देने वाली है। एक ग्राम ड्रग करीब तीन से चार हजार रुपए में मिलता है । महंगा होने के कारण तस्कर इसमें नशे की गोलिया मिलाकर भी सप्लाई कर रहे है,जो दवाओं की मिलावट से इसका असर ओर ज्यादा घातक हो जाता है। जानकारों की मानें तो पंजाब, हरियाणा, गुजरात के कई बड़े शहरों समेत बीकानेतर तक जड़े जमा चुका यह पार्टी नशा युवाओं की नशे खोखली कर रहा है। नशे के कारोबार जगत से जुड़े सूत्रों की मानें तो सालभर पहले तक बीकानेर में गिने चुने युवा ही एमडी की लत के शिकार थे,लेकिन अब इनका आंकड़ा पांच सौ से पार हो गया है। बेहद चौंकाने वाली हकीकत यह भी सामनें आई है कि इस घातक नशे के सौदागरों ने हुक्काबार और कैफे बार के बाद अपना नेटवर्क स्कूल-कॉलेजों के साथ कोचिंग संस्थानों तक बढ़ा लिया है । बताया जाता है कि ड्रग्स का यह वर्जन इस लिये घातक है क्योंकि महज दो से तीन बार लेने पर ही इस की लत लग जाती है । सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि रगों करंट बनकर दौडऩे वाले इस नशे की मदहोशी में ज्यादात्तर युवा अब गुनाहगारी के रास्ते पर आगे बढऩे से भी नहीं घबरा रहे । सूत्रों के अनुसार बीकानेर में एमडी की तस्करी वहीं तस्कर रहे है जो पहले से अफीम स्मैक और डोडा पोस्त की तस्करी में लिप्त रहे है। इन्होने बीकानेर में अपना नेटवर्क शहर से लेकर गांवों तक फैला लिया है। नशेबाजी के इस नये वर्जन से जुड़े मामले की पड़ताल में सामने आया है कि नई पीढ़ी के युवा शौक मौज व खुद को हाइ-फाइ बताने के लिहाज से नशा कर रहे हैं। यह नशा शरीर में आंतरिक क्षमता कमजोर कर रहा है। शरीर के अन्य अंग तक प्रभावित होते हैं। इससे व्यक्ति का डिप्रेशन और बढ़ता है। इस नशे की लत से ग्रस्त युवका अपराध की तरफ बढऩे में गुरेज तक नहीं करता। यह नशा पार्टी ड्रग्स मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन और मेफेड्रोन को कई नामों से बेचा जाता है । बेहद ज्यादा असरकारी होने के कारण इस नशे को सबसे खतरनाक माना जाता है। यह नशा दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों की पार्टियों में इस्तेमाल होता है,इसलिये पैडलर इसे पार्टी नशा बता कर बेचते है।
-हुक्का बार और कैफे बार से हुई शुरूआत
नशे की इस नई वैरायटी से जुड़े मामले की जांच पड़ताल में पता चला है कि बीकानेर में एमडी ड्रग्स की शुरूआत पॉश कॉलोनियों में चल रहे हुक्काबार और कैफे बार से हुई। जहां पैडलरों ने नई पीढ़ी के युवाओं को मदहोशी के लिये इस घातक नशे की लत लगाई। इसके बाद बढऩी शुरू हुई नशेबाजों की चैन अब शहर से लेकर गांवों तक पहुंच गई है। यह भी पता चला है कि शहर में ही एमडी की रोजाना की खपत 4 लाख रुपए की है। यहां तस्करों ने पुलिस से बचने के लिए ड्रग का कोडवर्ड बना रखे है। यह कोडवर्ड वही जानते हैं, जो ड्रग लेते हैं। युवा इसे गुटखे के साथ होते हैं और पानी के साथ घोलकर भी पीते हैं। हालांकि बीकानेर में इस नशे का नेटवर्क जोधपुर और नागौर से जुड़ा हुआ है मगर मुख्य रूप से इस नशे की खेप मुंबई से सप्लाई हो रही है।
-जानलेवा साबित हो रहा यह नशा
स्मैक के बाद एमडी वर्जन का यह नशा युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। अभी बीते माह बीछवाल इलाके की एक पॉश कॉलोनी में धनाढ्य परिवार के युवक ने अपने मकान में फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। बाद पता चला कि इस युवक ने एमडी नशे की गिरफ्त मेंं आकर अपनी जिंदगी तबाह कर ली। इससे पहले पवनपुरी इलाके में भी बीते दिनों एक कॉलेजी युवक ने अपने मकान में फंदा लगाकर जिंदगी खत्म कर ली,जो नशेबाजी की लत से ग्रस्त था। मनोचिकित्सको के अनुसार नशे की गिरफ्त में आ चुके युवाओं के लिए इससे बाहर निकलना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसके लिए समय रहते परिजनों का पूरा साथ बेहद आवश्यक है। स्मैक का नशा सिर चढक़र बोलता है। ऐसी हालत में नशा कर चुके लोगों के सोचने-समझने की क्षमता काम नहीं करती। नशे की हालत में वे कोई भी कदम उठा सकते।

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