












बीकानेर,भारतीय पत्रकारिता ने देश के स्वतंत्रता संग्राम, लोकतंत्र के विकास और राष्ट्रीय जीवन की प्रगति में अहम भूमिका निभाई है। आजादी के बाद पत्रकारों ने नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ अपना पत्रकारिता धर्म निभाया है। ऐसे पत्रकारों की जीवट कहानियां का भारतीय पत्रकारिता में एक अपना इतिहास भी है। भारतीय पत्रकारिता प्रिंट मिडिया, इलैक्ट्रानिक मीडिया के दौर के साथ साथ अब डिजिटल मीडिया युग में आ गया है। डिजिटल युग की पोजिटिव और इनोवेटिव जर्लनलिज्म का नया प्रयोग है। जो डिजिटल युग के युवा पत्रकारों को नैतिकता और जिम्मेदारी की सीख देता है।
देश में 90 के दशक के बाद पत्रकारिता के ऐक्थिक्स में गिरावट का दौर शुरू माना जाता है। जो डिजिटल युग में आते आते चरम पर है। आज पत्रकारिता और पत्रकार दोनों पर ही सवाल उठने लगे हैं। पीत पत्रकारिता, गोदी मीडिया, सत्ता का पिछलग्गू मिडिया, कोर्पोरेट समूह से संचालित मिडिया जैसे कई अरोपों से घिरे हुए हैं। पत्रकारिता की पूंजी और राजनीतिक दबाव और फेक न्यूज से विश्वसनीयता घटती जा रही है। पत्रकार अब सत्ता से सवाल पूछने के बजाय सत्ता के लिए तालिया बजाने को आतुर है। खबरों की दिशा पूंजी, विज्ञापन और राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित है।
1 मीडिया हाऊस – कार्पोरेट समूहों के नियंत्रण में आ रहे हैं।
2 मीडिया संस्थान- राजनीतिक विचारधारा से जुड़कर काम करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
3 फेक न्यूज- फेक न्यूज से जनता का न्यू मीडिया के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है।
4 पत्रकार- पत्रकारों में नैतिकता और जिम्मेदारी का संकट है।
5 पत्रकारिता- जन हित के बजाय सामयिक हितों का साधन बनाई जा रही है।
पत्रकारिता का पहला धर्म भय और प्रलोभन से मुक्त होकर सच कहना- आज ऐसा करना पत्रकारिता के लिए बड़ी चुनौति है। पत्रकारों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर खतरा है। पत्रकारिता तभी जिन्दा रहेगी जब वह सत्ता के प्रति नहीं समाज के प्रति जवाबदेह होगी। –ऐसे हालातों में डिजिटल युग की पत्रकारिता में युवा पीढ़ी के पत्रकारों को नैतिकता और जिम्मेदारी के साथ काम करने की जरूरत है। इसी से भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारिता के खोए मूल्यों की पुर्नस्थापना हो सकेगी। कैसे डिजिटल तकनीक और सोशल मीडिया से सार्थक पत्रकारिता कर सकते हैं। मोबाइल की बढती उपलब्धता, इंटरनेट सेवा से आन लाइन समाचारों की तेजी बढ़ता मह्त्व को हर कोई समझ रहा है। देश में 90 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं ने डिजिटल युग में पत्रकारिता के लिए नए अवसर पैदा किए हैं। जिससे प्रस्तुतिकरण तकनीक से व्यापक जन समूह तक पहुंच बढ़ाई जा सकती है। इसका ताजा उदाहरण खेलो इंडिया यूनिर्वसिटी गेम 2025 का डिजिटल मीडिया के माध्यम से जन जीवन में व्यापक प्रचार प्रसार हुआ। लोगों में 70 प्रतिशत तक मोबाइल से डिजिटल समाचार जानने की निर्भरता बढ़ी है। स्टोरीटेलिंग के नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। जिसमें सक्सेस टाक का कार्यक्रम एक उदाहरण है। बंधुओं गिरते पत्रकारिता के मूल्यों को लोकतंत्र में पुनः स्थापित करने के लिए डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को गहन शोध, निष्पक्ष रिर्पोटिंग की स्वतंत्रता है। डिजिटल मीडिया के जरिए पत्रकारिता समाज और जनता के बीच संवाद का सशक्त माध्यम बनता जा रहा है। जरूरत डिजिटल मीडिया के माध्यम से पत्रकारिता करने वाले युवाओं को नैतिकता और जिम्मेदारी से काम करने की है। युवाओं को समझना होगा कि पत्रकारिता करना लोकतंत्र और जनता की सेवा है न कि सत्ता की स्तुति।
