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बीकानेर,जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के संस्थापक परम पूज्य आचार्य श्री भिक्षु की जन्म त्रिशताब्दी समारोह के तृतीय दिवस पर गुरूवार 10 जुलाई को प्रातः तेरापंथ भवन गंगाशहर में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी ने तेरापंथ का उद्भव विषय पर अपना उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि तेरापंथ का प्रारंभ वि.स.1817 आषाढी पुर्णिमा से होता है। उसी दिन आचार्य भिक्षु ने नये सिरे से व्रत ग्रहण किए इस प्रकार उनकी भाव दीक्षा के साथ ही तेरापंथ का सहज प्रवर्तन हुआ। मुनिश्री ने कहा कि महापुरुषों का अन्तःकरण परमार्थ से परिपूर्ण होता है। वह जैसा अपना हित चाहते हैं, वैसे ही दूसरो का भी। आचार्य भिक्षु को जो श्रेयमार्ग मिला, उसे उन्होंने दूसरों को भी दिखाना चाहा।
मुनिश्री ने श्रावकों को प्रेरणा देते हुए कहा कि जैन धर्म महान है, तेरापंथ महान है कहने से, शब्दों के उचारण से महान नही होता है। प्रत्येक व्यक्ति को इसका अध्ययन करना चाहिए। जिससे श्रद्धा विश्वास के साथ जुड़ा जा सके एवं जैन दर्शन के सिद्धांतों को जीवन व्यवहार में धारण करें।
तेरापंथ आस्था विश्वास ओर समर्पण का धर्मसंघ है। गुरु के प्रति अटुट आस्था, धर्मसंघ के प्रति विश्वास ओर जिनवाणी के प्रति समर्पण यह त्रिवेणी व्यक्तियों को उच्चता प्रदान करती हैं। भीखण जी स्वामी सत्यनिष्ठ साधक संत थे। उन्होंने अंहिसा संयम तप के द्वारा आत्मा का कल्याण करने की प्रेरणा प्रदान की। तेरापंथ धर्मसंघ के सभी आचार्य चतुर्विध धर्मसंघ का योगक्षेम करते आये है। जिससे यह विशाल वट वृक्षाकार प्राप्त कर सका है।

इस अवसर पर श्रेयांस मुनि ने समूह गीत का मधुरस गान किया। उपासक राजेन्द्र सेठिया ने आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों एवं तेरापंथ दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में गणेशमल बोथरा, जतनलाल दूगड़, जतनलाल संचेती, धर्मेन्द्र डाकलिया, मांगीलाल बोथरा, श्रीमती श्रीया देवी गुलगुलिया, मनोज छाजेड़, राजेन्द्र बोथरा, मनीष बाफना, श्रीमती कनक गोलछा, गरिमा भंसाली, सुनीता दूगड़, एवं प्रियंका बैद ने गीतिका, कविताओं, एवं वक्तव्यों से तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना के सम्बन्ध में भावों की अभिव्यक्ति दी।
मुनिश्री ने फरमाया लाभचन्द आंचलिया ने 33 की तथा महावीर फलोदिया, सम्पत सांड, शारदा देवी मरोटी ने 11 दिन की तपस्या का प्रत्याख्यान किया अनेक भाई बहनों ने उपवास से 6 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। सरोज देवी पारख ने 33 दिन का एकासन व अनेक भाई बहनों ने एक से 11 तक के एकासन का प्रत्याख्यान किया। तीनों ही दिन का रात्रिकालीन कार्यक्रम सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री विशदप्रज्ञा जी, साध्वी श्री लब्धियशा जी के सान्निध्य में शान्तिनिकेतन में आयोजित हुए।

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