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बीकानेर,एस पी मेडिकल कालेज और संबद्ध पीबीएम चिकित्सालय, मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी के अध्यक्ष संभागीय आयुक्त डा.नीरज के. पवन और प्राचार्य डॉक्टर गुंजन सोनी दोनों ही अस्पताल में बेहतर चिकित्सा सेवा चाहते हैं। संभागीय आयुक्त की पीबीएम की चिकित्सा व्यवस्था पर निगरानी है। प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक कक्ष में डॉक्टर सोनी ने बैठना शुरू किया है। वे अब पी बी एम की व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग करेंगे। सवाल यह है कि अधिकांश विभागों में आउटडोर के दिन विभागाध्यक्ष और सीनियर कितनी ड्यूटी देते हैं ? क्या सभी विभागों के आउटडोर व्यवस्थित संचालित होते हैं ,? डॉक्टर साहब अगर आपको पी बी एम आने वाले रोगियों की वाकई सेवा करनी है ? सरकार की ओर से प्रदत्त स्वास्थ्य सेवाओं का रोगियों को समुचित लाभ देना है तो आउटडोर व्यवस्था को यथेष्ठ बनानी पड़ेगी। कुछ हेड या सीनियर आउटडोर के दिन या तो थियेटर में, मीटिंग में, अथवा कालांश में बताए जाते हैं। आर्थो, न्यूरो की तो हालत ही खराब है। अन्य विभागों की भी स्थिति प्राचार्य या अधीक्षक से छिपी हुई नहीं हैं। इसको सुधारें तो रोगियों को राहत मिलेगी। यूरोलॉजी विभाग की निष्पक्ष होकर कार्य व्यवस्था का अध्ययन करवा लो। आप देखेंगे कि यहां सीनियर पूरे समय आउट डोर में बैठते हैं। नर्सिंग और तकनीक कर्मचारी पूरी ड्यूटी देते हुए मिलेंगे। ऑपरेशन थियेटर में कितने ऑपरेशन होते हैं। देख लें काम अच्छा हो तो तारीफ कर दें। और अन्य विभागों को भी प्रेरणा दें। वैसे प्राचार्य ने खुद भी पिछले दिनों आईसीयू, बच्चा अस्पताल, सहित अन्य चिकित्सा व्यवस्थाओं का औचक निरीक्षण करने के बाद विभागाध्यक्षों की बैठक ली थी। बैठक लेने की क्यों जरूरत पड़ी? व्यवस्था में सुधार ही ध्येय रहा होगा। तभी तो
विभागों के हेड को व्यवस्था सही रखने के निर्देश दिए गए। जो विभागाध्यक्ष अपने आउटडोर की ड्यूटी ही नहीं करते। यह बात प्राचार्य से या मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी से छिपी नहीं है। जब प्राचार्य यूनिट हेड को चिकित्सा व्यवस्था चाक चौबंद रखने के निर्देश देते हैं सहज ही माना जा सकता है कि उन्होंने कमियों का आकलन किया होगा।

प्राचार्य ने वार्डों के निरीक्षण के दौरान यूनिट हेड्स को वार्डों में प्रत्येक मरीज को एक बेड की सुविधा मिले, किसी बेड पर दो मरीज एक साथ नहीं हो, जिस वार्ड में बेड फुल हो वहां के मरीजों को अन्य वार्ड में उपलब्ध रिक्त बेड में रोटेशन के आधार पर भर्ती करने के निर्देश दिए। प्रसूति विभाग से जुड़े वार्डों का क्या हाल है?
प्राचार्य महोदय बायोकैमेस्ट्री विभाग में विट्रोस 3600 इम्युनोलॉजी मशीन, ट्रॉमा सेंटर में स्वचलित डिजिटल एक्स रे मशीन अन्य चिकित्सकीय जांच उपकरण और इलाज में प्रयुक्त दवाओं का रोगी को समुचित लाभ तभी मिलेगा ना जब डाक्टर आउटडोर में रोगी को ठीक से देखेंगे। मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना, चिंरजीवी बीमा योजना, आरजीएचएस, निरोगी राजस्थान योजना आदि के तहत मरीजो के लिए पूर्णतः निःशुल्क उपलब्ध होने का लाभ तभी होगी जब दवा और जांच लिखने वाला डाक्टर अपना आउटडोर ठीक से करेगा। विशेषज्ञों की कमेटी यह जांच करें कि मरीज को लिखी गई दवा कितनी एक्यूरेट है और लिखी जांच का कितना ओचित्य है। आउटडोर कैसे डाक्टरों के भरोस हैं। यूनिट पूरी कहां होती है? वैसे पीबीएम की व्यवस्था में कमियों,राजनीति हस्तक्षेप, दलालों, माफियों की चर्चा करना बेमानी है। फिर भी चाहे तो सुधार तो हो ही सकता हैं।

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