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बीकानेर,यूआईटी चेयरमैन की कुर्सी के लिए भाजपाईयों ने जयपुर में आना जाना शुरू कर दिया है। बीकानेर शहर के विभिन्न नेताओं ने चेयरमैनशिप का दावा किया है। हालांकि पुख्ता ख़बर है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अभी यूआईटी चेयरमैन तय करने के मूड में नहीं है। सूत्र कहते हैं कि नगर निगम चुनाव‌ के बाद ही यूआईटी चेयरमैन के नाम पर मुहर लगेगी। तब तक कलेक्टर ही यूआईटी चलाती रहेंगी। अगर परिस्थितियां बदलीं तो निगम की लॉटरी के बाद भी यूआईटी चेयरमैन तय हो सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने पांच साल के पूरे कार्यकाल में यूआईटी चेयरमैन ही तय नहीं कर पाए। कहते हैं कि इस कुर्सी के लिए गहलोत पर इतना अधिक दबाव बनाया गया कि उन्होंने विवादों में उलझने की बजाय पांच साल तक टालमटोल करना उचित समझा। तब बीकानेर परकोटे के भीतरी क्षेत्र के एक दावेदार को तो ऐसी निराशा हाथ लगी कि एकबारगी राजनीतिक लाइमलाइट से ही मन फट गया। नोखा के एक दावेदार ने तो बधाईयां बंटवा दी थी।मीडिया में भी नाम तय होने की घोषणाएं हुई। मगर औपचारिक घोषणा वाली रात ने बेवफाई कर ली और पिक्चर ही बदल गई।‌ ना धन चला, ना धनवान चले और ना ही मंत्रियों का प्रभाव काम आया। बहरहाल, पता चला है कि पांच साल से खाली पड़ी यह कुर्सी अब बड़ी हो गई है।‌ जनता के कामों की पेंडेंसी भी सीमाएं पार कर चुकी है। ऐसे में डिमांड चेयरमैन की डिमांड बढ़ती जा रही है। हालांकि, अभी पुख्ता तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि बड़ी  कुर्सी के लिए कौन-सा दावेदार डिमांड पूरी करने में सक्षम है, लेकिन दावे भरपूर किए जा रहे हैं।

भाजपा संगठन के सूत्रों की मानें तो यूआईटी चेयरमैनशिप के लिए शहर भाजपा महामंत्री मोहन सुराणा व भाजपाई शिवरतन अग्रवाल प्रमुख दावेदार हैं। दोनों की जयपुर तक अच्छी पकड़ है तो वहीं दोनों केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के भी चहेते हैं। दोनों का संगठन के लिए समर्पण भी वर्षों से नोटिस किया जा रहा। इसके अलावा भी दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है। जिनमें प्रदीप उपाध्याय,कुणाल कोचर,सुरेंद्र सिंह शेखावत, गोपाल गहलोत आदि का नाम शामिल है।

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