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बीकानेर,शहर की संसोलाओ झील में एक बार फिर गंठों का दौर होगा। झील को पानी से भरने और इसे और खूबसूरत बनाने के लिए प्रशासन 35 लाख रुपये खर्च करने की तैयारी कर रहा है।नाथूसर गेट के बगल में कर्मिसार रोड पर मुंढोडो गार्डन के पास ऐतिहासिक संसोलाओ झील शहर में अपने संगम के लिए जानी जाती है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इसके गड्ढे में अतिक्रमण, क्षति और प्रशासनिक लापरवाही के कारण झील में जल स्तर कम हो गया है और इसका स्वरूप भी बिगड़ने लगा है। प्रशासन ने अब झील के पुराने वैभव को एक बार फिर से वापस लाने का फैसला किया है।

इसे यूआईटी को सौंप दिया गया है, जिसने रुपये खर्च किए हैं। 35 लाख की रिपोर्ट तैयार की गई है। मुख्य रूप से झील के घाट को सुधारा जाएगा ताकि बारिश का पानी पहले की तरह बिना किसी रुकावट के झील में प्रवाहित हो सके। साथ ही पेंटिंग और रिपेयरिंग कर इसे हेरिटेज लुक दिया जाएगा। गौरतलब है कि संसोलाओ झील के इतिहास को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल और पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया जा सकता है।

ऐसे खिलेगा झील का नजारा

जलग्रहण क्षेत्र के फर्श को समतल किया जाएगा ताकि बारिश का पानी सीधे झील तक पहुंच सके।
एंट्री प्वाइंट पर राइड साइड पर कोटा स्टोन लगाया जाएगा
जीर्ण-शीर्ण कक्ष को हेरिटेज लुक में बनाया जाएगा
झील की ओर जाने वाली सीढ़ियों की मरम्मत व फर्श की मरम्मत कराई जाएगी
परिसर की दीवारों की मरम्मत कराई जाएगी। जहां जरूरत होगी वहां नई दीवारें बनाई जाएंगी
पेंटिंग देगी आकर्षक लुक
झील में सीवेज को प्रवेश करने से रोकने के लिए मंदिर परिसर के अलावा एक अलग कुआं भी बनाया जाएगा।
20 से 25 फीट गहरी झील अब 15 फीट गहरी हो गई है
सन् 1572 में बीकानेर के पश्चिमी भाग में नाथूसर गेट के बाहर झील के किनारे सोंड्रान बीच को सासोजी ने बनवाया था। पहले झील का काम सलोजी राठी के पोते समोजी करते थे। उनका नाम सहस्त्रलव था जो बाद में संसोलवा हो गया। वह 348 वर्ष के थे। बीकानेर की सभी झीलों में से यह झील कलात्मक और सुंदर है। उनके बीच एक सुंदर कलात्मक छतरी है।

इसके चारों ओर बनी सती की छतरियां और मंदिर इसके स्वरूप और सुंदरता को बढ़ाते हैं। कहा जाता है कि साठ के दशक में आसपास की आबादी इस झील के पानी पर निर्भर थी। अब सूखा राहत के लिए खुदाई के कारण झील में पानी ज्यादा देर तक नहीं ठहरता है। अनुमान है कि इस घाट पर 200 से अधिक घर और कार्यालय बन चुके हैं। चोथ और भाद्रपद के सोमवार सहित श्रवण मास के चार सोमवार और जेम्मा पीर का वापसी मेला इस झील पर आयोजित किया जाता है। झील 20 से 25 फीट गहरी थी जो 15 फीट रही है।

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