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जयपुर। राजस्थान सरकार ने 15 नवम्बर से शतप्रतिशत कैपेसिटी के साथ स्कूल, कॉलेज सहित व्यापारों को खोलने की इजाजत दी है। सरकार के इस निर्णय के बाद संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है की ” मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बेटे आरसीए अध्यक्ष वैभव गहलोत के दबाव में आकर प्रदेश को वर्षो बाद मिली क्रिकेट मैच की मेजबानी की वाह-वाही बटोरने का लिए प्रदेश की आमजन, अभिभावकों और बच्चों को अपना मोहरा बनाया है। 17 नवम्बर को एसएमएस स्टेडियम पर भारत – न्यूजीलैंड के बीच अंतराष्ट्रीय मैच होना है जिसमे 28 हजार से अधिक कैपेसिटी के स्टेडियम में अधिक से अधिक दर्शक शामिल करने एवं उनसे 1 हजार से 15 हजार और अधिक का टिकट चार्ज किया जा सके।

संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा राज्य सरकार मैच के जरिये सत्ता की नुमाइश कर प्रदेश की आमजन को बरगलाने का षड्यंत्र रच रही है। यही कारण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ना कोरोना की जांच रिपोर्ट को तवज्जो दी ना डेंगू के प्रकोप को तवज्जों दी, केवल बेटे की खुशी का ध्यान रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आनन-फानन में शतप्रतिशत कैपेसिटी के साथ स्कूलो को खोलने का आदेश जारी कर दिया जिससे 17 नवम्बर को आयोजित होने वाले क्रिकेट मैच में भी शतप्रतिशत दर्शकों की सहमति का रास्ता साफ हो सके और 28 हजार से अधिक दर्शकों व प्रदेश के अभिभावकों और बच्चों को मौत के कुएं में धकेल जा सके।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि स्कूलो को शतप्रतिशत कैपेसिटी के साथ खोलने के निर्णय से मुख्यमंत्री ने एक तीर से कई निशाने साधने का षड्यंत्र रचा है। वही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेश की आमजन को सतर्कता बरतने का आह्वान कर रहे, विदेशों के कोरोना मामले की दुहाई दे रहे, किन्तु खुद के शासित राजस्थान में मिल रहे कोरोना महामारी और डेंगू के मामलों पर चुप्पी साधकर निजी स्कूलों, कॉलेजों के दबाव में आकर स्वयं का और बेटे के षड्यंत्र का रास्ता किलियर कर रहे है। मंगलवार को मुख्यमंत्री ने बाजारों, स्कूलो और कॉलेजों को शतप्रतिशत कैपेसिटी के साथ खोलने के आदेश दिए उसके तत्काल बाद मैच में दर्शकों को भी शतप्रतिशत शामिल होने की अनुमति दे दी गई। अब जनता कोरोना से मरे या डेंगू से इसकी जवाबदेही से अपना पल्ला झाड़ लिया।

अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि ” स्कूलो को शतप्रतिशत कैपेसिटी के साथ खोलने के आदेश को केवल एक मोहरा बनाया गया है जिससे मैच को दी गई अनुमति की जवाबदेही से राज्य सरकार खुद को बचा सके। अन्यथा प्रदेश में अव्यवस्था अपना विकराल रूप धारण कर चुकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य सरकार सत्ता का भले ही कितना तांडव कर लेंवे, प्रदेश की जनता, अभिभावक और बच्चें कभी भी माफ नही करेगी। राज्य सरकार को अपने इन तुगलकी निर्णयों का खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा। बेटे की खुशी के लिए मुख्यमंत्री ने प्रदेश के अभिभावकों और बच्चों को मौत के कुएं में धकेल दिया, प्रदेश की आमजन से अपील है वह बिल्कुल की लापरवाही ना बरते और भीड़-भाड़ से दूरी बनाकर रखें, चंद घटों का मनोरंजन किसी के परिवार को उजाड़ सकता है। सरकारें तो मौतों का तमाशा देखकर पल्ला झाड़ लेती है दुख केवल परिवारों और अपनों को होता है।

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