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बीकानेर,जयपुर,अभी हाल ही में एक प्रमुख समाचार पत्र द्वारा अभिभावकों की प्रक्रियाओं को लेकर सर्वे प्रकाशित हुआ था, जिस शनिवार को *संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार को घेरते हुए कहा की* ” प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था बद से बदतर हालात के दौर से गुजर रही है, बच्चों को आरटीई में एडमिशन नही मिल रहे, निजी स्कूल मनमानी फीस वसूल रहे है, कॉपी – किताबों के दाम 4 हजार से 8 हजार रु तक हो गए है, प्रदेश के 90 फीसदी अभिभावक सरकार और प्रशासन की व्यवस्थाओं से पूरी तरह से असंतुष्ट नजर आ रहे है और राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सत्ता का फायदा उठा पांच-पांच के झूठे विज्ञापन प्रकाशित करवा प्रदेश को गुमराह कर रहे है। ”

*संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू* ने कहा की बेहतर शिक्षा व्यवस्था और सबको शिक्षा का अधिकार उपलब्ध करवाने को लेकर विभिन्न कानून बनाए गए है किंतु अभिभावकों और विद्यार्थियों को उन कानूनों का बिलकुल भी लाभ नहीं मिल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगामी चुनाव में हार के डर से बौखला गए है और निजी स्वार्थ की पब्लिकसिटी पाने को लेकर झूठे विज्ञापन प्रकाशित करवा अभिभावकों और विद्यार्थियों को ठेंगा दिखा रहे है। वह और समय था जब जनता सरकारों की बातों में आती थी किंतु आज दौर में जनता सरकारों की नीतियों से बिल्कुल भी अनजान नहीं है। सत्ता में कोई भी राजनीतिक बैठ जाए और वह कितना ही झूठ का मायाजाल बुन लेवें लेकिन अब जनता ने सरकारों के झूठ पर मुखरता से बोलना प्रारंभ कर दिया है और बिझाएँ मायाजालों से निकलने के तरीकों को खोज लिया है।

*प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल* ने कहा की हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार प्रदेश के 90 फीसदी अभिभावक यह मानते है की शिक्षा विभाग अभिभावकों की शिकायतों पर बिल्कुल भी सुनाई नही करता है और 80 फीसदी अभिभावक यह मानते है स्कूलों और सरकार के विवाद के चलते उनके बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है समय पर सुनवाई ना होने के चलते दूसरे स्कूलों में भी बच्चों के एडमिशन नहीं हो रहे है उनका साल खराब हो रहा है। कोरोना काल में उठे फीस विवाद पर संयुक्त अभिभावक संघ सुप्रीम कोर्ट गया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों में फीस को लेकर फीस एक्ट 2016 कानून लागू किया था किंतु आजतक शिक्षा विभाग ने प्रदेश के किसी भी निजी स्कूल में फीस एक्ट को लेकर कोई कार्यवाही नही की, जिसके चलते अभिभावकों को अपने घर, गहने गिरवी रखकर, दोस्तों, रिश्तेदारों से उधार लेकर स्कूलों की फीस चुकानी पड़ रही है। अगर राज्य सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर कोई रोक नहीं लगाई तो प्रदेश के 2 करोड़ अभिभावक राज्य सरकार को सबक सिखाने को तैयार खड़े है।

*जयपुर जिला अध्यक्ष युवराज हसीजा* ने कहा की शिक्षा का अधिकार अधिनियम कानून लागू होने के बावजूद निर्धन और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में एडमिशन नही मिल रहे है, आरटीई की तहत एडमिशन हुए बच्चों के अभिभावकों से स्कूल फीस, किताबों की मनमानी फीस मांगी जा रही है। हर साल ढाई लाख से अधिक बच्चों के फॉर्म आरटीई पोर्टल पर अपलोड होते है, किंतु मात्र 70 हजार बच्चों की लॉटरी निकलकर एडमिशन देने का दिखावा किया जा रहा है, जबकि एक अभिभावक जब आरटीई पोर्टल पर फॉर्म अपलोड करवाता है तो पूरी प्रक्रिया में करीब 500 से 700 रु खर्च करता है। जिस पर राज्य सरकार को अपना ध्यान लगाना चाहिए और निर्धन व जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को समय पर शिक्षा उपलब्ध करवानी चाहिए।

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