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बीकानेर, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री मृृगावतीश्रीजी म.सा., बीकानेर मूल की साध्वीश्री सुरप्रियाश्रीजीम.सा व नित्योदया श्रीजी म.सा का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश शनिवार को गाजे बाजे से हर्ष व उल्लास के साथ धार्मिक परम्परानुसार हुआ। बीकानेर मंें साध्वीश्री मनोहरश्रीजी की सुशिष्याओं का चालीस साल बाद चातुर्मास का लाभ श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्रीसंघ, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट ने लिया है।
गोगागेट सर्किल स्थित गौड़ी पाश्र्वनाथ मंदिर से रवाना हुई साध्वीवृृंद की शोभायात्रा में श्रावक सफेद व महिलाएं लाल-कसुम्बल साड़ियां पहले देव, गुरु व धर्म के नारे लगा रही थी। साफा बांधे अनेक युवक बैंड व ढोल तासों के संगीत के साथ नृृत्य करते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा के मार्ग में अनेक स्थानों पर साध्वीवृृंद का गवली सजाकर तथा श्रावक श्राविकाओं का लस्सी, शिंकजी, शीतल पेय, ठंडाई व नाश्ते आदि से सत्कार किया गया। अनेक स्थानों पर स्वागतद्वार, साध्वीवृृंद के पोस्टर, कट आउट लगाए गए। भगवान महावीर, दादा गुरुदेव व साध्वीवृृंद के मंगल प्रवेश की शोभायात्रा गोगागेट, बागड़ी चैक, ढढ्ढा चैक, बेगानी, कोचर चैक, डागा, दस्साणी चैक, चिंतामणि जैन मंदिर, नाहटा मोहल्ला, गोलछा, खजांची मुकीम बोथरा होते हुए रांगड़ी चैक के सुगनजी महाराज के उपासरे में पहुंचकर धर्म सभा में बदल गई।
धर्म सभा में साध्वीश्री मृृगावती ने कहा कि चातुर्मास का समय सम्यक् ज्ञान, दर्शन व चारित्र का 0बिजारोपण करने, जीवन में ज्ञान, भक्ति, जप, तप व दान और शील को धारण करने के लिए है। पूरे उत्साह व उमंग तथा जैन धर्म की मान-मर्यादा की प्रतिष्ठा करते हुए श्रावक-श्राविकाएं चातुर्मास अधिकाधिक साधना, आराधना व भक्ति करें। जीवों के प्रति दया भाव रखें तथा ऐसा कोई भी कर्म नहीं करें जिससे पाप के कर्म बंधन बंधें। साध्वीश्री नित्योदया ने कहा कि भक्ति गीतों के मुखड़ों को सुनाते हुए कहा कि राजस्थान की गौरवशाली बीकानेर की पुण्यधरा पर चातुर्मास के दौरान स्व व पर कल्याण के लिए साधना-आराधना व भक्ति करें। तप, त्याग व संयम को जीवन में अपनाकर, गुरुवाणी सुनकर अंतर चेतना को जगाएं तथा मानव तन को सफल बनावे।
भाव व सम्मान-धर्मसभा में भीनव नाहटा, विचक्षण महिला मंडल, सामयिक मंडल, चेन्नई के सुप्रसिद्ध भजन गायक श्रेणिक नाहर, पुखराज कोठारी, खामगांव के नरेन्द्र संकलेचा,रायपुर के पदम डाकलिया, प्रवीण पारख, नीतिन गोलछा, मुंबई के अजय लूणिया, अहमदाबाद के नीतिन गोलछा, कोलकाता प्रवासी बीकानेर मूल के पवन बोथरा, गरिमा नाहटा, चातुर्मास व्यवस्था समिति के संयोजक निर्मल पारख, सोनू भंसाली, आदर्श नाहटा ने भक्ति गीतों व भावों से तथा नन्हीं बालिका जीनिसा नाहटा ने नृृत्य से साध्वीवृृंद का अभिनंदन किया। बाहर से आए श्रावक-श्राविकाओं व बीकानेर मूल की साध्वीश्री सुरप्रियाश्रीजी. रेणु म.सा. की सांसारिक माताजी श्रीमती प्रेमबाई, भाई आदर्श नाहटा व चाचा सुमति चंद नाहटा का श्रीसंघ की ओर से श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, निर्मल पारख, इंजीनियर अशोक पारख, महावीर सिंह खजांची, महावीर नाहटा, हस्तीमल सेठी,संतोक चंद मुसरफ, मनोज सेठिया, पूनमचंद, देवेन्द्र नाहटा, मनीष नाहटा, भीखम चंद बरड़िया आदि ने माला, साफा पहनाकर अभिनंदन किया। साध्वीवृृंद को कम्बली ओढ़ाने का लाभ स्वर्गीय थानमल बोथरा परिवार के पवन बोथरा व उदयरामसर के बोथरा परिवार ने तथा गुरु पूजा, वंदन का लाभ चैन्नई के गायक व श्रावक श्रेणिक भाई नाहर ने लिया। स्वधर्मी वात्सल्य का लाभ स्वर्गीय रिखब चंदजी, श्रेयकंवर भंवर लाल, श्रीमती प्रेम कंवर नाहटा परिवार ने लिया।
आयम्बिल की तपस्या आज
साध्वीवृृंद का रविवार से सुबह सवा नौ बजे से सवा दस बजे तक नियमिति प्रवचन रांगड़ी चैक के सुगनजी महाराज के उपासरे में होगा। धर्म विशेष के त्यौहार में होने वाली जीवों के मोक्ष के लिए अनेक श्रावक-श्राविकाएं आयम्बिल की तपस्या करेंगे तथा परमात्मा से जीवों के मोक्ष की प्रार्थना करेंगे।
गच्छाधिपति का जयपुर में चातुर्मासिक प्रवेश
जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्य जिन मणि प्रभ सूरिश्वरजी महाराज ने शनिवार को जयपुर में चातुर्मासिक प्रवेश किया। चातुर्मास प्रवेश में खरतरगच्छ युवा परिषद के अध्यक्ष राजीव खजांची, विपुल नाहटा, हिमांशु सेठिया, धर्मेन्द्र खजांची, अरिहंत नाहटा शामिल हुए। उधर डूढारिया में आचार्यश्री मनोज्ञ सागर सूरिश्वरजी के चातुर्मासिक प्रवेश में बीकानेर के सुप्रसिद्ध गायक सुनील पारख व पार्टी ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए।
चातुर्मास में विशेष धर्म आराधना का लक्ष्य रखें-संजय मुनि
बीकानेर, 9 जुलाई। साधुमार्गी जैन संघ के आचार्यश्री रामलालजी के शिष्य संजय मुनि ने सेठिया कोटड़ी में प्रवचन में कहा कि चातुर्मास में श्रावक-श्राविकाएं विशेष धर्म आराधना तथा भौतिक इच्छाओं व सुख सुविधाओं पर काबू पाने लक्ष्य रखें। स्वयं सादगी, सहजता,सरलता व धार्मिक भावना व विचारों के साथा जीवन जीएं तथा दूसरों को भी सरल जीवन जीने के लिए प्रेरित करें तथा भगवान महावीर के सिद्धान्तों व आदर्शों को अंगीकार करें। साध्वीश्री पूर्णिश्रीजी ने कहा कि हम आचार निष्ठ एवं आचार्य निष्ठ बनें। श्रावक एवं संत समुदाय आचार्य संहिता के अनुसार जीवन जीए । धर्म एवं धर्म नायक से समर्पण एवं एकत्व भाव से जुड़े। वीरेन्द्र मुनि ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया।

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