
बीकानेर,जयपुर,राइट टू एजुकेशन (आरटीई) को लेकर संयुक्त अभिभावक संघ कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा अब लगता है प्रदेश शिक्षा मांगने पर कही कोई सुनवाई नहीं होगी, सरकार, प्रशासन तो पहले ही अंधी, गूंगी, बहरी बनी बैठी है अब लगता है कोर्ट ने भी अपनी आंखों पर वापस पट्टी बांध ली है। दरअसल शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बैंच में आरटीई को लेकर 2022-23 से लंबित पुर्नभरण राशि को लेकर सुनवाई थी, इस सुनवाई पर अभिभावकों को बहुत आशा थी कि कोर्ट अभिभावकों और बच्चों को न्याय देगी और कम से कम स्कूलों को बच्चों को पढ़ाने के निर्देश देगी, किंतु कोर्ट ने सुनवाई 4 सप्ताह आगे खिसकार इतिश्री कर अभिभावकों और बच्चों को घोर निराशा प्रदान की।
संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि आरटीई को लेकर जिस प्रकार से सरकार, प्रशासन और निजी स्कूल दुर्भावना भरा व्यवहार दिखा रहे है उसी प्रकार राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बैंच भी अभिभावकों और बच्चों के प्रति दुर्व्यवहार जैसा प्रदर्शन कर रही है। आरटीई का मामला वर्ष 2022-23 से कोर्ट में लंबित है, हर साल स्कूल विवाद करते है, लड़ाई स्कूल और सरकार की है किंतु इसके शिकार बच्चों को अपनी पढ़ाई छोड़कर और अभिभावकों ठोकरें खाकर भुगतना पड़ता है। न्यायपालिका पर सभी की अंतिम आस रहती है किंतु तीन साल से अभिभावकों और बच्चों पढ़ाई के बदले तारीख पर तारीख की सुनवाई मिल रही है। अभिभावकों के साथ सबसे बड़ी विडंबना यह है कि 1 सितंबर से स्कूलों में त्रैमासिक परीक्षाओं का दौर शुरू हो जाएगा किंतु आरटीई में राज्य सरकार द्वारा चयनित विद्यार्थियों को ना केवल परीक्षा से वंचित होना पड़ रहा है बल्कि पिछले चार माह से बच्चे अपनी पढ़ाई शुरू करने का इंतजार कर रहे है। जिस पर ना राज्य सरकार ध्यान दे रही है ना प्रशासन ध्यान दे रहा है और अब कोर्ट तक भी अब अभिभावकों और विद्यार्थियों के भविष्य और सपनों से सरोकार नहीं रख रही है। अभिभावक यह खिलवाड़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेंगे और जल्द योजना बना सभी अभिभावकों एकत्रित कर विधानसभा घेराव की योजना बनाएंगे और अभिभावकों एवं विद्यार्थियों का अधिकार लेकर रहेंगे।