
बीकानेर,राष्ट्रीय कवि चौपाल की 519वीं कड़ी महाराणा प्रताप एवं मित्रता पर केन्द्रित रही.. । कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य संत इतिहास पितामह जानकी नारायण श्रीमाली तथा मुख्य अतिथि इंजीनियर कृष्ण कुमार शर्मा, तथा विशिष्ट अतिथि श्रीमती कृष्णा वर्मा, महबूब देशनोकवी मंच शोभित हुए। जानकी नारायण श्रीमाली ने अध्यक्षीय बौद्धिक संदेश में बताया कि राष्ट्र है तो हम हैं, राष्ट्र हित में मरना भी अमर होना है, प्रताप सा वीर- पराक्रमी, शोर्यवान, त्यागी, तपस्वी, राष्ट्र भक्त सा जीवन कालजयी प्रेरणा श्रेणी में है… इंजीनियर कृष्ण कुमार शर्मा ने अपने बोद्धिक माध्यम से बताया मेवाड़ में शासक अनेक हुए, परी सही अर्थों राष्ट्र हित जीए मरे.. प्रताप बस एक ही हुए.. कृष्णा वर्मा : शुरवीर पुरोधा महाराणा प्रताप पल पल मंडराता संकट जिसने जीवन में झेला… महबूब देशनोकवी : सगळी जगह फेलोडो़ है रुतबो शांति रौ,आठों दिशाओं में डंको बाजे शांति रौ..
वरिष्ठ शाइर क़ासिम बीकानेरी ने महाराणा प्रताप की शान में ‘तू सर का ताज हमारा है तू ही माथे का चंदन है/प्रताप तेरा अभिनंदन है, प्रताप तेरा अभिनंदन है’ पंक्तियां प्रस्तुत कर प्रताप की शूरवीरता का बखान किया।
राजेन्द्र स्वर्णकार ने महाराणा प्रताप को सिरमौर सूरो, मरुधरा रौ गरब, वीर प्रताप है ! से समर्पित अनेक दोहे और छंद प्रस्तुत किए और कवित्त के माध्यम से लागी बिरखा री झड़ चौमासे का रोचक चित्रण किया … रामेश्वर साधक : जीवन-जीवनी का आंकलन उम्र से,शतायु से नहीं उनकी देश हित में जां लुटाने के मौके ढुंढते रहते हैं की वृत्ति कृति ही कालजयी जीवनी है,.. कैलाश टाक : धधकता खू रगों में बहना चाहिए..प्रताप दिल मेरे जिंदा रहना चाहिए….बाबू बमचकरी : हाथ जोड़ियां नीं सरे तो बुकियों चढावण री तैयारी कर। राजू लखोटिया ने बांसुरी की धुन सुनाकर समां बांध दिया
माजिद खान गौरी : है मुहब्बत का जो आइना दोस्ती.. दिल को सुकूँ दे ऐसा है चेहरा दोस्ती.. सिराजुद्दीन भुट्टा : सफर में एक दूसरे का साथ निभाते चलो उम्मीद का दिया जलाते चलो .. डॉ महेश चुघ : मेवाड़ी धरती पर देखो वीर प्रताप आयो। जयवंता माता री कोख रो वो हो जायों.. एड गंगा विशन विश्नोई : मैं माटी हू, इयाँ ही समझ..लोगां करी खेचळ..मन्नै आप आप री.. मर्जी मुजब संचै में.. ढालण री…तुलसी राम मोदी : मत काटो तो भाईडा़ रूंखडा़ इयासुं बढै है बेशुमार दुखड़ा.. शमीम अहमद : थांकी मन्नत करूं, करूं थांकी मनवार साहित्य सेवा में पधारें राष्ट्रीय कवि चौपाल .. एम रफीक क़ादरी एवं पवन चड्ढा ने गीत सुनाकर वाह वाही बटोरी।
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में महेश बड़गुर्जर ने माता वीणा री तान सुनादे म्हानें मां शारदे थांरे कृपा सूं म्हें सिगळा सरस्वती प्रार्थना से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया
आज के कार्यक्रम में ऋषि नारायण श्री माली, सागर सिद्धिकी, भवानी सिंह राजपुरोहित, महेंद्र सिसोदिया, शिव प्रकाश शर्मा, हनुमान कच्छावा, परमेश्वर सोनी, नत्थू खां, विमला देवी, सुशीला सुथार, भतमाल सुथार, आदि आदि कई गणमान्य साहित्यानुरागी उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन रामेश्वर साधक ने किया जबकि आभार महेश बड़गुर्जर ने किया।