
बीकानेर,जिले के चिकित्सा जगत में इन दिनों सबसे बड़ा सवाल है कि कौन बनेगा पीबीएम अधीक्षक ? दरअसल,पीबीएम अधीक्षक पद की गिनती चिकित्सा जगत में करोड़पति के पद कम नहीं है। वजह,ये कि पीबीएम अधीक्षक के जिम्मे होस्पीटल के सालाना करोड़ों के टेंडर होते है। मगर करोड़पति रैंक का यह पद पिछले करीब पखवाड़े भर से खाली है,इससे करीब 3.50 करोड़ के टैंडर भी अटके हुए है। फिलहाल पीबीएम अधीक्षक की कुर्सी सियासी फेर में उलझी हुई है,इसके लिये छह डॉक्टरों ने अपनी सियासी ताकत झोंक रखी है। दावेदारी में जिन डॉक्टरों के नाम सामने आए है,उनमें डॉ.संजीव बुरी,डॉ.रवि चांडक,डॉ.महेन्द्र सिसोदिया,डॉ.सोनाली धवन और डॉ.मनोहर दांवा का नाम शामिल है। इनके अलावा अनुभव के आधार पर पूर्व अधीक्षक डॉ.पीके सैनी का नाम भी चर्चा में है। जानकारी में रहे कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मेडिसिन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार वर्मा को आठ अक्टूबर को एसपी मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल का जिम्मा सौंप दिया। इसके बाद उन्हे मेडिकल कॉलेज प्रिसिंपल के साथ पीबीएम अधीक्षक का काम भी संभलना पड़ रहा है। दोनों पदों का चार्ज एक ही अधिकारी के पास होने के कारण पीबीएम हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं को चलाने में परेशानी हो रही है। सबसे बड़ी समस्या दवाओं और ठेका कर्मियों के भुगतान की है। चेक पर अधीक्षक, प्रिंसिपल और संभागीय आयुक्त तीनों के साइन होते हैं। अधीक्षक और प्रिंसिपल एक ही व्यक्ति होने के कारण साइन मिसमैच हो रहे हैं। सीटी एमआरआई के टेंडर डेट फिर आगे बढ़ा दी गई है। प्री बिड मीटिंग के बाद अब तक संशोधन ही जारी नहीं हो पाया है। पीबीएम अधीक्षक के दावेदारों की लिस्ट में सबसे ऊपर नाम न्यूरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेंद्र सिसोदिया का लिया जा रहा है। सूत्रों अनुसार डॉ.महेन्द्र सिंह सिसोदिया के लिये नगर विधायक जेठानंद व्यास और श्री कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने डिजायर की है। वहीं डॉ.रवि चांडक के लिये डिजायर के मामले में केबिनेट मंत्री सुमित गोदारा का नाम सामने आये है। जबकि एसएसबी अधीक्षक डॉ. संजीव बुरी के लिये विधायक सिद्धी कुमारी ने डिजायर दी है। इसी तरह अनुभव के आधार पर पूर्व अधीक्षक डॉ. पीके सैनी और एनेस्थीसिया प्रोफेसर डॉ. सोनाली धवन का भी नाम चर्चा में है। इनमें डॉ.पीके सैनी के लिये भी विधायक सिद्धी कुमारी की डिजायर चर्चा में है। जबकि डॉ.सोनाली धवन का नाम प्रोपर चैनल के तौर पर चर्चा में है। इसी तरह पांचवे दावेदार डॉ.मनोहर दांवा के लिये सांसद सेवा केन्द्र की सिफारिश भी कम नहीं आंकी जा रही है। डॉ.दांवा एक अपराधिक मामले में आरोपी रह चुके है,इसलिये डॉ.दांवा की स्थिति कमजोर आंकी जा रही है। अब देखने वाली वाली बात तो यह है कि पांचों दावेदारों में किसका पलड़ा भारी पड़ता है।