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बीकानेर,सोजत। संस्कृति मनुष्य की बहुमूल्य धरोहर है और अंत:करण की पहचान है। यह अनेकता में एकता को परिलक्षित करती है और मनुष्यता को दिक्षित करती है उक्त उद्गार वरिष्ठ साहित्यकार वीरेंद्र लखावत ने शबनम साहित्य परिषद द्वारा आयोजित व्यंगकार राजेंद्र मोहन शर्मा द्वारा रचित उपन्यास महात्मा विदुर पुस्तक चर्चा में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए उन्होंने कहा कि मनुष्य की उत्तमता का आधार उसका कुल नहीं बल्कि कर्म होता है यह शर्मा जी ने ‘महात्मा विदुर’ उपन्यास प्रकाशित कर साबित कर दिया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि कथाकार रशीद गौरी ने कहा कि यह उपन्यास महात्मा विदुर के विराट व्यक्तित्व से परिचित करवाता है तथा संयम और त्याग के साथ विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत, हौसले बुलंद रखने की सीख देता है। विशिष्ट अतिथि बाल साहित्य लेखक नवनीत राय रुचिर ने कहा कि महात्मा विदुर एतिहासिक उपन्यास है जो अच्छे लेखन की प्रेरणा देता है। पुस्तक पर पत्र वाचन करते हुए कवि विशन सिंह भाटी ने कहा कि यह उपन्यास उन तथ्यों और विचारों को प्रमुखता से पुष्ट करते हुए प्रस्तुत करता है कि महाभारत का युद्ध जिन भावनाओं के आधार पर लड़ा गया था वे अनर्थकारी थे और यह अनर्थ कभी नहीं रुका इसीलिए महाभारत युद्ध कुरुक्षेत्र में भले ही थम गया था लेकिन महत्त्वाकांक्षाओं के रणक्षेत्र तो आज तक लगातार सृजित हो रहे हैं। कार्यक्रम का आरंभ अलवीरा व खुशनुमा ने कुरान की तिलावत व दुआ लब पे आती है दुआ बनकर तमन्ना मेरी से किया। संस्था द्वारा अतिथियों का बहुमान मोतियों की माला पहनाकर किया गया तत्पश्चात पूर्व खेल अधिकारी सत्तुसिंह भाटी ने शर्मा जी के परिचय से उपस्थित जन को रूबरू करवाया। कार्यक्रम का सरस संचालन संस्था अध्यक्ष अब्दुल समद राही ने किया आभार की रस्म रामस्वरूप भटनागर ने अदा की इस अवसर पर समाजसेवी अब्दुल गनी ताजक कवि रामस्वरूप भटनागर व्यंग्यकार उमाशंकर द्विवेदी दिनेश सोलंकी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में साहित्य रसिक श्रोताओं ने अपनी भागीदारी निभाई।

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