












बीकानेर,अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राज्य महासचिव डॉ.सीमा जैन ने बेटियों पर मोबाइल फोन की रोक लगाने का जालौर जिले की सुंधामाता पट्टी से जुड़े चौधरी पंचायत का फैसला निंदनीय,अवैज्ञानिक और संविधान विरोधी है। यह निर्णय बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सीधा हमला है।
आज के समय में मोबाइल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि पढ़ाई, स्वास्थ्य, आपातकालीन सहायता, रोज़गार और सूचना से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। बेटियों से मोबाइल छीनना दरअसल उन्हें अवसरों से वंचित करने जैसा है।
समाज में यदि किसी प्रकार की समस्याएं हैं तो उनका समाधान बेटियों पर पाबंदी लगाकर नहीं, बल्कि बेहतर शिक्षा, जागरूकता और जिम्मेदारी तय करके किया जाना चाहिए। बेटियों को नियंत्रित करना आसान है, लेकिन सोच बदलना कठिन—और पंचायतें इसी कठिन काम से भाग रही हैं।
बेटियां किसी भी तरह से लड़कों से कम नहीं हैं। उन्हें बराबरी का अधिकार, तकनीक तक समान पहुंच और अपने फैसले खुद लेने की आज़ादी मिलनी चाहिए।
हम मांग करते हैं कि संबंधित पंचायत अपना यह तुगलकी फरमान तुरंत वापस ले और समाज को आगे ले जाने और बेटियों के अधिकारों का सम्मान करने वाले निर्णय ले।
