बीकानेर,निगम का टेंट और कुर्सी, फिर भी महंगाई राहत शिविरों में प्रतिदिन 3.5 लाख रुपए खर्च इन शिविरों के लिए सरकार ने पानी की तरह पैसा खर्च करते हुए सिर्फ संसाधन और सुविधा के लिए 65 लाख रुपये का टेंडर किया है.
इसके बावजूद लोगों को छाया तक नहीं मिल रही है। इससे पहले शहरों के साथ अभियान में प्रशासन ने कैंपों पर करीब 50 लाख रुपए खर्च किए।
जसरासर से मुख्यमंत्री अशाेक गहलोत जब बीकानेर के राहत शिविर पहुंचे तो व्यवस्थाओं से नाराज नजर आए. सो को जब कलेक्टर भी राहत शिविर पहुंचे तो कहीं पानी के कैंपर नहीं थे तो कहीं फ्लेक्स की कमी थी. उन्होंने नगर निगम आयुक्त केसरलाल मीणा पर नाराजगी जताई। मीणा ने सोमवार शाम को ही कैंप से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों को फोन कर चेतावनी दी थी कि अगर सुविधाओं में कमी पाई गई तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. फिर भी रामपुरा गली नंबर दाे की कुम्हार धर्मशाला के सामने टोकन लेने के लिए लोग धूप में खड़े रहे।
कैंप धर्मशाला में था लेकिन टोकन धर्मशाला के सामने एक घर में दिए गए। लोग घर के अंदर नहीं जा सकते थे, इसलिए सड़क पर ही कतार लगाकर धूप में खड़े हो गए। प्रतिदिन के साढ़े तीन लाख के खर्च में ठेकेदार को कम्प्यूटर आपरेटर, फ्लेक्स, पानी आदि की व्यवस्था करनी है। हैरानी की बात यह है कि टेंट और कुर्सियों की व्यवस्था निगम ने की है।