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बीकानेर,स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम राष्ट्रीय कवि चौपाल की 533 वीं कड़ी हिंदी दिवस व श्राद्ध पक्ष को समर्पित रही, सरदार अली परिहार, राजकुमार ग्रोवर, विप्लव व्यास, विशाल भारद्वाज आदि मंच शोभित हुए कार्यक्रम शुभारंभ करते हुए साधक ने कहा केवल श्राद्ध ही नहीं सनातन – श्रुति संस्कृति में प्रत्येक रीति नीति के औचित्य है, कार्यक्रम अध्यक्ष राजकुमार ग्रोवर ने काव्य धारा में बताया हारकर भी जो ना हारे… जिन्हें हार नहीं स्वीकार.. वही कर्मठ मानव जीवन के अलंकार। मुख्य अतिथि विप्लव व्यास ने राष्ट्र भाषा लेकिन महत्ता बढ़े वहां अन्य भाषाओं का अंतस आदर है बात को पूर्ण हर्फ दर हर्फ कट रही जिंदगी ना तुमने कहा कुछ, ना मैंने कहा कुछ … विशिष्ट अतिथि सरदार अली परिहार : संकल्प की शक्ति बड़ी, जो अयोग्य घोषित पाणिनि को महर्षि बना सकता है, विशिष्ट अतिथि विशाल भारद्वाज ने मां बाप ही भगवान है पहले उनको मनाना पड़ेगा .. कविता माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व साधक ने वेद विद्या जगती लुप्ता, प्रायशः परमेश्वर..अंधता जगती तताया सा तू शीघ्र क्षीयताम ईश प्रार्थना से कार्यक्रम शुभारम्भ किया
प्रमोद शर्मा : एक प्रकाश क़ातिल के पास, एक प्रकाश संत ऋषि के पास …जैनुल आबेदीन : हम अर्द्ध सत्य है, हम अर्द्ध मिथक। हम अर्द्ध कल्पना हम अर्द्ध कल्पना अर्द्ध झलक…बाबू बमचकरी : कोई एक सुणावे तू दो सुणा रामेश्वर साधक : पूर्वजों की वृति-कृति व उपलब्धि सिद्धि आचरण में आए, यही श्राद्ध पक्ष कहता है..जब श्राद्ध की श्रद्धा, अंध श्रद्धा बनी, यही अंतस व्यथा है’। कृष्णा वर्मा : जन समूह की भाषा हिन्दी, हिंदी है हम हिंदी हमारी शान है..मधुरिमा सिंह : राष्ट्र भाषा का अपमान मातृ अपमान के समान देवकीनन्दन शर्मा : तुलसी की गाथा तन की अचूक औषधि..पवन चड्ढा : मिले न फूल तो कांटों से दोस्ती कर ली
आज १२ कवि वृंद ने अपनी रचनाओं का लोकार्पण किया जबकि श्री भवानी सिंह ने आज के कार्यक्रम का आन लाईन प्रसारण किया… घनश्याम सोलंकी, हनुमान कच्छावा, ईश्वर, रवीना, राजकुमार, पप्पू मीणा, सरल सैनी, तुलसी राम मोदी आदि कई गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे
कार्यक्रम का संचालन चुटिले अंदाज में, हास्य विनोद की स्वर लहरियां बिखेरते हुए बाबू बमचकरी ने किया आभार रामेश्वर साधक ने किया।

 

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