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बीकानेर,पिछले दस साल के भीतर ही एक्स-रे और सीटी स्कैन जैसी जांचों का आंकड़ा दोगुना तक बढ़ गया है। इसके पीछे नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच की सरकारी सुविधा, सेहत के प्रति जागरूकता जैसे कारण भले ही हो सकते हैं, लेकिन उपचार का जरिया बनने के साथ बीमारी की वजह भी बन रहे हैं। चिकित्सीय जगत से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार अब एक्स-रे और सिटी स्कीन का इस्तेमाल बढ़ गया है। ढाई तीन साल पहले पीबीएम अस्पताल में रोज औसत 400 से 500 मरीज एक्स-रे कराते थे। नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच सुविधा के बाद ये आंकड़ा बढक़र रोज औसतन 800 से एक हजार तक पहुंच गया है। ऐसे ही सीटी स्केन कराने वालों आंकड़ा पहले 5 हजार से भी कम था। अब 10 हजार से ज्यादा है। आंकड़ों के अनुसार ही चिकित्सा विभाग बीकानेर के अधीन संचालित पीएचसी और जिला अस्पतालों में जहां पहले एक्स-रे नाम मात्र के लिए होते थे, वहीं पर बीते चार साल में एक्स-रे कराने वालों की संख्या तीन गुना तक बढ़ चुकी है। नि:शुल्क सुविधा के अलावा डॉक्टरों के चलन में आया व्यवहार भी इसके लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है। वर्तमान में आम बीमारियों के लिए भी डॉक्टर एक्स-रे जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जिले बढ़ते कैंसर रोगियों की संख्या के लिए बहुत हद तक एक्स-रे की जांच सुविधा भी कारण बनती जा रही है।
-यह ध्यान रखना जरूरी
चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो एक व्यक्ति को एक साल में एक मिली सिवर्ट से ज्यादा एक्स-रे विकिरणों को नहीं लेना चाहिए। एक साधारण एक्स-रे के भीतर पोइंट वन मिली सिवर्ट एक्सपोजर होता है। इस हिसाब से एक सामान्य आदमी को डॉक्टर की सलाह के बाद भी 10 बार से ज्यादा सामान्य एक्स-रे नहीं कराना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार छाती के सीटी स्केन में 350 एक्स-रे के बराबर विकिरणों का एक्सपोजर होता है। ऐसे ही पेट के सीटी स्केन में मानव शरीर में 750 एक्स-रे का एक्सपोजर पहुंच जाता है, जो भविष्य में मानव शरीर में कैंसर का कारण बन सकता है। गर्भवती महिलाओं में एक्स-रे का प्रभाव उसके मंद बुद्धि शिशु के तौर पर सामने आ सकते हैं।

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