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बीकानेर। जुलाई में खाली हो रही राज्यसभा की 4 सीटों के लिए सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में खींचतान चरम पर है। प्रदेश में राज्यसभा के लिए जुलाई महीने में चुनाव होंगे। गहलोत-पायलट की खींचतान को देखकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने गेंद पार्टी आलाकमान के पाले में डाल दी है।

राजनीतिक सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट चाहते हैं कि उनके एक समर्थक को राज्यसभा भेजा जाए। जबकि सीएम अशोक गहलोत इसके पक्ष में नहीं है। विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के खाते में 3 और 1 सीट भाजपा के खाते में जा सकती है। कांग्रेस और भाजपा में दावेदारों की लंबी फौज है। दावेदारों की दिल्ली दौड़ जारी है। राज्यसभा की चुनाव की सरगर्मियां तेज होते ही प्रदेश कांग्रेस सहम गई है। क्योंकि गहलोत-पायलट गुट फिर आमने-सामने हो गए हंै। सचिन पायलट बराबरी हिस्सेदारी चाहते हैं। ऐसे में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई है।

सूत्रों के अनुसार राज्यसभा की 3 में से 2 सीटों पर कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं और एक सीट पर राजस्थान से किसी नेता को राज्यसभा भेजा जा सकता है। इस एक सीट के लिए ही गहलोत-पायलट में खींचतान है। पिछले बार सीएम गहलोत ने अपने समर्थक नीरज डांगी को राज्यसभा भेजा था। पायलट गुट का कहना है कि इस बार उनके समर्थक किसी नेता को राज्यसभा भेजा जाए। हालांकि राज्यसभा चुनाव के लिए अभी 4 महीने है लेकिन गहलोत-पायलट गुट में खींचतान तेज हो गई है। सचिन पायलट चाहते हैं कि जैसे कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में उनके समर्थकों को एडजस्ट किया था ठीक वैसे ही 3 में से 1 सीट के लिए उनके समर्थक को राज्यसभा भेजा जाए। दो सीटों पर केंद्रीय नेताओं के राजस्थान से राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा है। इनमें कांग्रेस के नेता गुलाबनबी आजाद और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवरसिंह का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। इन दो सीटों के लिए पायलट को किसी के नाम पर एतराज नहीं है।

राजस्थान में जुलाई महीने में 4 भाजपा सांसदों की सीट खाली हो रही है। इनमें ओमप्रकाश माथुर, केजे अल्फोंस, राजकुमार वर्मा और हर्षवर्धनसिंह डूंगरपुर का कार्यकाल 4 जुलाई 2022 को पूरा हो रहा है।

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