बीकानेर,श्रीगंगानगर रायसिंहनगर नगर पालिका अध्यक्ष मनीष कैशल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते राज्य सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से नगर पालिका अध्यक्ष पद से निलंबित कर दिया है.
वहीं, मामले की न्यायिक जांच की भी सिफारिश की गई है। मनीष कौशल 2020 में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए थे। चुनाव में सभी सदस्यों का समर्थन मिलने के बावजूद अपनी कार्यशैली से लगातार विवादों में रहने वाले मनीष कौशल पर उपाध्यक्ष हरीश डाबी व पार्षदों ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे. जिसकी जांच स्वशासन विभाग बीकानेर के क्षेत्रीय उपनिदेशक द्वारा की गयी थी और जांच में दोषी पाये जाने पर उपनिदेशक ने नगर पालिका अध्यक्ष के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा राज्य सरकार से की थी. जिस पर डीएलबी निदेशक हृदेशकुमार ने 12 मई को राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 39(6) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आदेश संख्या 1195 के तहत उन्हें निलंबित कर दिया था। आदेश में कई अन्य जानकारियां गायब थीं। सोमवार को डीएलबी में बात की तो उन्होंने नगर अध्यक्ष कौशल के निलंबन की पुष्टि की। प्रभार किसे मिलेगा यह अभी तय नहीं है।
नगरपालिका अध्यक्ष मनीष कौशल के खिलाफ कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में विफल रहने, पिछले 2 वर्षों में किए गए निर्माण कार्यों के ठेके अपनी पसंदीदा फर्मों को देने, शहरों के साथ अभियान में स्लॉट भूमि के आवंटन में नियमों की अनदेखी करते हुए सड़कें आवंटित करने, भूमि के ठेके देने में अनियमितता का आरोप लगाया गया था. नगर पालिका क्षेत्र में बैनर, होर्डिंग व विज्ञापन के लिए माफियाओं से सांठगांठ कर अवैध कॉलोनियों को काटकर नगर पालिका के खजाने को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। आरोप यह भी था कि नगर पालिका अध्यक्ष ने विज्ञापन होर्डिंग का ठेका 5 साल के लिए मात्र एक लाख पांच हजार में दे दिया। जबकि पिछले साल नगर पालिका की एक साल की आय दो लाख तीन हजार 500 रुपये थी।
कुत्ते की नसबंदी में बड़ी संख्या में दिखाकर नगर पालिका को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का भी आरोप लगाया था। डीएलबी ने इन आरोपों को क्षेत्रीय उप निदेशक बीकानेर को सौंप दिया। जांच में अधिकारी द्वारा आरोपों को सही पाते हुए नगर पालिका अध्यक्ष मनीष कौशल को दोषी पाया गया और नगर पालिका अध्यक्ष के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अनुशंसा राज्य सरकार से की. गौरतलब है कि इन सभी शिकायतों को लेकर पूर्व में ईओ हंसा मीणा ने नगर पालिका अध्यक्ष से डीएलबी में शिकायत भी की थी. नगर अध्यक्ष से भी एक-एक कर दूर होते जा रहे पार्षद: अध्यक्ष पद के निर्विरोध चुनाव के दौरान मनीष कौशल जहां पार्षदों ने उन पर विश्वास दिखाया. लेकिन बाद में एक-एक कर पार्षद उनसे दूर होते गए। नगर उपाध्यक्ष मनीष हरीश डाबी ने कहा कि पार्षदों को सम्मान नहीं मिल रहा है साथ ही वार्डों में विकास कार्यों में भी भेदभाव किया जा रहा है. इससे पार्षदों में कौशल को लेकर नाराजगी भी बढ़ती जा रही थी।
ईओ ने भी भेजी थी रिपोर्ट, धरना देकर हटाया गया नगर पालिका अध्यक्ष मनीष कौशल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद कांग्रेस, भाजपा व माकपा से अपने संबंधों से कुर्सी बचाने के जोड़तोड़ में लगे रहे . नगरपालिका अध्यक्ष के खिलाफ की गई जांच में स्पष्टीकरण के संबंध में राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39(1) के तहत तीन दिन में जवाब के लिए 27 अप्रैल को स्वशासन विभाग द्वारा नोटिस जारी किया गया था. नगर पालिका में तत्कालीन ईओ हंसा मीणा ने करीब 6 माह पहले नगर पालिका अध्यक्ष की मनमानी को रोकने का प्रयास किया था। उसके बाद कुछ दिनों तक नगर पालिका अध्यक्ष ने अपने समर्थकों के साथ मिनी सचिवालय में धरना दिया. इसके बाद मीना का यहां से तबादला कर दिया गया।
आगे क्या, प्रभार को लेकर असमंजस की स्थिति : स्वशासन विभाग ने नगर पालिका अध्यक्ष मनीष कौशल को निलंबित कर दिया है, लेकिन उपाध्यक्ष या किसी अन्य को प्रभार दिए जाने का आदेश में कोई जिक्र नहीं, असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है । इस संबंध में कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष राकेश थालिया ने बताया कि नगर पालिका अधिनियम के नियमानुसार प्रभार उपाध्यक्ष के पास जाना चाहिए. यदि राज्य सरकार आदेश देती है तो कांग्रेस के पार्षद एकमत हैं, फिर भी यदि राज्य सरकार कोई अन्य प्रस्ताव देती है तो इस संबंध में पार्षदों की आपसी सहमति लेने के बाद ही नाम दिया जाएगा। साथ ही सरकार ने विधि विभाग को भी इस मामले में कैविएट लगाने का निर्देश दिया है, ताकि कौशल को कोर्ट से निलंबन पर स्टे जल्द से जल्द न मिले.