









बीकानेर,टेंडरों की गड़बड़ी के कारण विवादों में चल रही पीबीएम होस्पीटल में राजस्थान मेडिकल रिलिफ सोसायटी पीबीएम की ओर से १५ करोड़ की दवाईयां सप्लाई से जुड़े टेंडरों में गड़बड़ी का एक ओर मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार हाल में जारी किये गये दवाओं की सप्लाई के टेंडर नंबर 24/2025-26 और 25/2025-26 में चेहती फर्मो को फायदा पहुंचाने के लिये न सिर्फ शर्ते बदल दी गई है,बल्कि राजस्थान लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम, 2012 एवं नियम 2013 के सेक्शन-8 (2) का उल्लंघन कर एक ही तरह की सप्लाइ के लिये अलग अलग टेंडर लगाए गये है। मामले की पड़ताल में पता चला है कि दोनों टेंडर पीबीएम के मुख्य लेखाधिकारी अभिषेक गोयल के हस्ताक्षर से जारी किये गये है,जिन्हे वित्तियअनियमितताओं के आरोप में बीस दिन पहले ही एपीओं किया जा चुका है। वहीं दोनों टेंडरों के फॉर्मेंट में निर्माता कंपनी के द्वारा पूर्व में डिबार / ब्लेकलिस्टेड नहीं होने की घोषणा को हटा दिया गया है जबकि वित विभाग द्वारा जारी परिपत्र क्रमांक एफ1 (8) वित/साविलेनि/2011 में निर्देश जारी किये गये है कि बोली में एनेक्सर ए.बी.सी एवं डी लगाये जाने आवश्यक है एवं इसकी गाइड लाइन भी निर्धारित की गयी है। नये टेंडर के फार्मेट में ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज हटाये जाने से यह भी संभव है कि कोई ब्लेक लिस्टेड कम्पनी भी निविदा में भाग ले लेगी जो मरीजो के हितों के साथ कुठाराघात होगा। इतना ही नहीं टेंडरों के फॉर्मेट वित्तीय टर्नओवर और सोलवेंसी प्रमाणपत्र की शर्त को भी हटा दिया गया है, एक मैक की शर्त लगाई गई है। इसे लेकर ना सिर्फ गंभीर आरोप लग रहे है बल्कि टेंडरों को निरस्त की मांग भी उठ रही है। दरसअल,पीबीएम के टेंडर में गड़बड़ी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले जुलाई माह में दवाओं की सप्लाई से जुड़े 9.5 करोड़ के टेंडर में घौर अनियमितताएं बरती गई थी और गड़बड़ी उजागर होने पर संभागीय आयुक्त ने टेंडर निरस्त कर दिया था। सूत्रों के अनुसार सिर्फ दवाओं की सप्लाई से जुड़े टेंडर में नहीं बल्कि राजस्थान मेडिकल रिफिल सोसायटी पीबीएम की ओर से अभी हाल में जारी की गई कई अल्पकालीन निविदाओं में गड़बड़ी की गई है। जिसकी शिकायत सीएमओं और चिकित्सा मंत्री पहुंच चुकी है।
*संभागीय आयुक्त तक पहुंची शिकायत
दवाईयों की सप्लाइ से जुड़े दोनों टेंडरों में गड़बड़ी को लेकर संभागीय आयुक्त तक पहुंची शिकायत में अवगत कराया गया है कि पिछले टेंडर में राजकीय चिकित्सालय में 5 करोड़ की आपूर्ति सफलतापूर्वक करने का प्रमाण पत्र चाहा गया था,जिसका मुख्य उदेश्य यह था कि मरीजो को समय पर दवा उपलब्ध हो सके साथ ही बोलीदाता का राजकीय आपूर्ति का अनुभव भी ज्ञात किया जा सके। इसी तरह पीबीएम में बीते सालों में हुए टेंडरों में वित्तीय अनुभव के रूप में निर्माता कंपनियों का पिछले तीन वितिय वर्ष का औसत टर्नओवर 100 करोड़ व डीलर, डिस्ट्रीब्युटर का टर्नओवर पिछले तीन वर्षों का औसत 10 करोड़ की शर्ते लागू थी जिसको नये टेंडर में पूर्णत: हटा दिया गया है। टेंडरों में आपुर्ति अवधि 8 की निर्धारित की गई है,जबकि पिछले टेंडर 16 दिन थी। इसलिए दवा की गुणवता निर्धारित करने की कोई मापदंड नहीं रह जाता है सिवाए टर्नओवर के चूंकि बैंच रिपोर्ट 45 दिन से पहले नहीं आती है जबकि आरएमसीएल की एनएसी 30 दिन के लिए ही जारी होती है। पिछले टेंडरों में 50 लाख रुपये कि सालवेंशी प्रमाणपत्र अनिवार्य था,जिससे निविदादाता की हैसियत का निर्धारण होता था। आरोप है िक चहेती फर्मो को फायदा पहुंचाने के लिये आरएमआरएस अध्यक्ष से बिना अनुमति लिये ही नये टेंडर में इन महत्वपूर्ण शर्तो को हटा दिया गया । नये टेंडर में यह भी शर्त रखी गई है कि एक से अधिक मैक मान्य नहीं होगी। जबकि,11 फरवरी 2021 में प्रथम अपील अधिकारी के निर्णय पर तल्कालीन उपापन समिति ने गहन मंथन के बाद एक दवा के लिये तीन मैक या तीन से अधिक मैक की शर्त लागू की गई थी। ऐसे में नये टेंडर में शामिल एक मैक का उत्पाद लेने की शर्त प्रथम अपील अधिकारी के निर्णय कि अवमानना मानी जा रही है।
