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बीकानेर.जिले में नकली नोट का खेल लंबे समय से चल रहा है। गिरोह की चाल को पुलिस व जिला प्रशासन समझ नहीं पाया। नतीजतन नकली नोट गिरोह के हौसल बुलंद हो गए। पहले गिरोह के लोगों ने नकली नोट बाहर से लाकर ग्रामीण अंचल में खपाए। जब इनका काला कारोबार जम गया, तो उन्होंने एक पूरे एम्पायर को खड़ा कर लिया। 13 लोगों ने मिलकर गिरोह बनाया दिल्ली व हरियाणा से रुपए लाकर सप्लाई करने का। हवाला कारोबार करने वाले बड़े लोगों से संपर्क किया। हवाले के रुपए देने में नोटों की अदला-बदली करने लगे। हवाला के नोटों की शिकायत बाहर नहीं आने और गिरोह के लोगों के मन में लालच बढ़ने पर हरियाणा से मशीन, कागज, स्याही, कटर मशीन व फिनिशिंग का सामान लाकर नोट ही बनाने शुरू कर दिए। पहले 10 से 20 हजार नोट बनाए। बाद में धीरे-धीरे लाखों नोट छापने शुरू कर दिए।

लूणकरनसर के बाद बीकानेर के वृंदावन एनक्लेव में डाला डेरा पहले आरोपियों ने लूणकरनसर में डेरा जमाया लेकिन वहां पार नहीं पड़ा, तब अधिवक्ता रविकांत के जयपुर रोड िस्थत वृंदावन एनक्लेव में हाल ही में नए बने मकान में नोट छापने का कारखाना शुरू कर दिया। यहां दिन में कम रात में काम ज्यादा होता था। मकान के आसपास भी ज्यादा मकान नहीं हैं। वृंदावन कॉलोनी में रहने वाले सुभाष (बदला हुआ नाम) ने बताया कि घर में दिन में कम और रात के समय अक्सर आवाजाही ज्यादा रहती थी। अक्सर नई-नई और तरह-तरह की गाडि़यां आती थीं। दो दिन पहले यहां पर युवकों के बीच विवाद भी हुआ था।

पांच साल से चलन में आने लगे थे नकली नोट
पुलिस सूत्रों की मानें तो बीकानेर में 2018 से नकली नोटों के मामले पकड़ में आने लगे थे। कोटगेट थाना क्षेत्र में ही करीब दो साल पहले नकली नोट मिले थे। इसका भी मामला दर्ज हुआ था।

यह दर्ज हुआ था मामला

बीकानेर की बैंकों में फर्जी और नकली नोट जमा हो रहे थे। इसका खुलासा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने किया। इसके बाद बैंकों को सावचेत किया गया। नकली नोट आरबीआई तक पहुंचने पर आरबीआई जयपुर के प्रबंधक जगदीशचन्द्र पारीक की ओर से शहर के कोटगेट थाने में मामला दर्ज कराया गया, जिसमें बताया कि किस बैंक से कितनी राशि कब जमा हुई। इसकी रिपोर्ट के साथ बताया गया कि इतने नोट फर्जी व नकली हैं। यह नोट अप्रेल 2018 से लेकर 2021 के बीच जमा हुए हैं। नोटों की कीमत लाखों में थी। यह एफआईआर जयपुर के गांधी नगर थाने में दर्ज की गई। बाद में वहां से कोटगेट थाने में स्थानांतरित की गई। वहीं दूसरी ओर कोटगेट पुलिस ने इस मामले में कोई रुचि नहीं ली।

दोस्तों के साथ घूमना व आए दिन पार्टी करना था शौक
दीपक दो-ढाई साल पहले अपने रिश्तेदार की दुकान पर बैठता था। बाद में वह इस काले कारोबार में लिप्त हो गया। कुछेक दिनों में उसके हाव-भाव व तौर-तरीके बदल गए। अब वह रुपयों से खेलने लगा। दोस्तों की भी लंबी फेहरिस्त हो गई। आए दिन वह दोस्तों के साथ घूमने निकल जाता। होटलों में पार्टी करता। महंगा मोबाइल व महंगे कपड़े पहनने का शौक पालने लगा।

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