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बीकानेर,शिक्षक संघ एलिमेंट्री सेकेंडरी टीचर एसोसिएशन (रेसटा) के प्रदेशाध्यक्ष मोहर सिंह सलावद व प्रदेश महामंत्री नवल सिंह मीना ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के विपरीत उप प्रधानाचार्य के पद को डाइंग कैडर करने का विरोध करते हुए उप प्रधानाचार्य के पदों को यथावत रखने व 50 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती करने की मांग लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा,शिक्षा मंत्री मदन दिलावर व कैबिनेट डॉ.किरोड़ी लाल मीणा,निदेशक माध्यमिक शिक्षाको ज्ञापन भेजा है। प्रदेशाध्यक्ष सलावद ने ज्ञापन में बताया कि वर्तमान में शिक्षा विभाग में पीईईओ के बढ़ते उत्तरदायित्व और विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए उपप्राचार्य पोस्ट का सृजन किया गया था। इसके संदर्भ में प्रमुख बिंदु है राष्ट्रीय शिक्षा नीति व केंद्रीय विद्यालय संगठन के अनुरूप उपप्राचार्य पद केंद्रीय विद्यालय संगठन संरचना के अनुरूप व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों के अनुरूप सृजित है। जिससे राज्य की स्कूल शिक्षा केंद्र की नीतियों के अनुसरण में संचालित हो रही है। यदि उपप्राचार्य पद समाप्त किया जाता है तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रतिकूल निर्णय होगा व प्रशासनिक कारण वर्तमान में विद्यालयों में पीईईओ व्यवस्था लागू होने के कारण प्राचार्य पद पर कार्यभार बहुत अधिक बढ़ गया है। वर्तमान में प्राचार्य पद के पास अपने मूल पद के कार्यों के अलावा पदेन पीईईओ के रूप औसत 4 से 5 प्रारंभिक शिक्षा के विद्यालयों के नियंत्रण अधिकारी का कार्य भी करना पड़ता,जिसके लिए सप्ताह में 3 दिन उन विद्यालयों के पर्यवेक्षण आदि के लिए मूल विद्यालय से बाहर रहना पड़ता है। इसलिए उसे सहायता करने के लिए तथा शैक्षिक पर्यवेक्षण और निरीक्षण व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए शैक्षणिक संगठनों की मांग पर उपप्राचार्य पद का गठन किया गया था और लीनियर चैनल व लोक प्रशासन सिद्धांत के अनुरूप व्याख्याता पे लेवल 12 का पद है जिनका प्रमोशन व एमएसीपी उपप्राचार्य पे लेवल 14 पर किए जाने से विभाग में लिनीयर चैनल की पालना हो गई है। यदि उपप्राचार्य पद को समाप्त किया जाता है तो व्याख्याता एल 12 का प्रमोशन व एमएसीपी सीधे एल 16 पर होगा जो लीनियर चैनल व प्रशासनिक संरचना सिद्धांत के विपरीत होगा और उच्च पदों के अवसरों में कमी राज्य प्रशासन के सभी सेवाओं में पदोन्नति के अवसर बढ़ाने के लिए उच्च पदों में वृद्धि की जाती रही है, परन्तु शिक्षक संवर्ग के उच्च पदों को समाप्त करना अन्यायपूर्ण होगा। साथ ही विभाग के उच्च पद पर युवा अधिकारियों से निरंतर भरे रखने हेतु शासन के सभी कैडर में एल 14 पद सीधी भर्ती का उच्चतम पद है। शिक्षा विभाग में भी यह सीधी भर्ती का उच्चतम पद था जिसको विगत सरकार ने अन्यायपूर्ण निर्णय से केवल पदोन्नति का पद बना दिया। अब पद समाप्त करना पश्चगामी कदम होगा। अतः इसे समाप्त न करके पूर्ववत 50 प्रतिशत पदों epr सीधी भर्ती का पद बनाया जाए। यदि सीधी भर्ती नहीं की जाती है तो पूर्व वर्षों की तरह उच्च पद रिक्त रहेंगे, क्योंकि व्याख्याताओं की अत्यधिक संख्या के कारण वो जिला शिक्षा अधिकारी (डीईईओ) पद तक ही पदोन्नति प्राप्त कर सेवानिवृत्त हो जाएंगे, जिससे विभाग के उच्च पद रिक्त रहेंगे। इसलिए उपप्राचार्य पद को समाप्त करने का विचार भी शिक्षा विभाग के लिए उपयुक्त नहीं है बल्कि विभाग को युवा बनाएं रखने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ विद्यालय एवम् विद्यालय संकुल में शिक्षा प्रशासन को सुदृढ करने की दृष्टि से उपप्राचार्य का पद अत्यावश्यक है और इस पद को 50 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती से भरा जाना चाहिए ताकि विभाग को युवा अधिकारी मिल सके साथ ही शिक्षकों को कैरियर उन्नयन हेतु अतिरिक्त अवसर भी मिल सके। इसलिए शिक्षक संघ रेसटा राष्ट्रीय शिक्षा नीति व केंद्रीय विद्यालय संरचना के विपरीत उपप्राचार्य पद को डाइंग कैडर करने के निर्णय का शिक्षा, शिक्षार्थी व शिक्षक हित में पुरजोर विरोध करती है और निवेदन करती है कि राष्ट्रीय शिक्षा की भावना के अनुरूप व केंद्रीय विद्यालय संरचना के समान विद्यालयों में शैक्षिक पर्यवेक्षण व्यवस्था में गुणवत्तापूर्ण सुधार हेतु व युवा शिक्षकों को उच्च पदों पर पहुंचने के अवसर बढ़ाने हेतु तथा विभागीय उच्च पदों पर निरंतर अधिकारी की उपलब्धता हेतु इस पद को समाप्त नहीं करके इस पर 50 प्रतिशत पदों पर सीधी भर्ती किए जाने का प्रगतिशील निर्णय लेने की मांग की गई है।

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