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बीकानेर:प्रदेश के विद्यालयो में अध्ययनरत बालको का प्रत्येक सप्ताह कन्वे जीनियस वाट्सएप्प ग्रुप पर रजिस्ट्रेशन करते हुए दो विषयो के क्वीज आंकलन प्रश्न पत्र को हल करवाने का कार्य आवश्यक संसाधनों के अभाव में अव्यावहारिक होने के कारण इस पर पुर्नविचार करने की मांग शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने की है।
राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के जिलाध्यक्ष मोहनलाल भादू ने बताया कि ऑनलाइन व ऑफलाईन शिक्षण,गृहकार्य वितरण व संकलित करने, जाँचने , प्रवेश ,पोषाहार योजना में खाद्यान्न व कॉम्बो पैक वितरण करने,नामांकन बढ़ाने,डाक भेजने ,प्रतिदिन बालकों व अभिभावकों को कॉलिंग करने,प्रति सप्ताह शिक्षको द्वारा प्रत्येक छात्र के गृहकार्य की ऑनलाइन मैपिंग करने ,विद्यालय के अन्य समस्त कार्यो को ऑनलाइन करने, तथा प्रतिदिन गृह कार्य वितरण व जांच के लिए घर घर जाने आदि कार्यो को शिक्षको के द्वारा सम्पन्न करवाये जा रहे है। किंतु बालको व उनके अभिभावकों के पास एंड्राइड फ़ोन नही होने तथा विद्यालयो में क्वीज आंकलन प्रश्न पत्रों को हल करने हेतु आवश्यक संसाधनों के अभाव में वाट्सएप्प आधारित क्वीज आंकलन प्रश्नपत्र को शिक्षक के एकमात्र मोबाइल हैंड सेट से हल करने हेतु विभागीय अधिकारियों द्वारा निर्देशित किया जाना अनुचित व अव्यावहारिक होकर शिक्षको को केवल कागज़ी आकडो में उलझाने वाला निर्णय प्रतीत होता है। ऐसे में उक्त वाट्सएप्प आधारित क्वीज आंकलन को बंद करना छात्र,अभिभावक एवं शिक्षको के हित मे होगा। प्रदेश सयुक्त मंत्री सुरेश व्यास ने बताया कि अधिकांश बालको के पास ऐंड्रोइड मोबाइल हैंड सेट नही है।जिन अभिभावकों के पास ऐंड्रोइड मोबाइल है, वह अपने साथ काम पर लेकर जाते है। इंटरनेट पैक भरवाने की राशि नही होने व गांवों में इंटरनेट नही आने की हमेशा समस्या रहती है। कई बार सर्वर डाउन रहने तथा अधिकांश विद्यालयों में विद्युत कनेक्शन नही होने , गांवों में लंबे समय तक बिजली कटौती रहने से मोबाइल चार्ज,प्रिंटिंग,तथा फोटो कॉपी करने की समस्या भी रहती है। संगठन के जिलामंत्री कैलाशदान ने बताया कि उक्त क्वीज आंकलन चित्रात्मक प्रश्नों के साथ विकल्पात्मक उत्तर सहित आने के कारण है। इसकी रंगीन फोटो कॉपी के बिना बालक को समझने में परेशानी होती है। शिक्षक द्वारा एक कम्प्यूटर प्रिंट निकाल कर उसकी रंगीन फोटी प्रतिया प्रत्येक बालक को वितरित कर हल करवाने के उपरांत शिक्षक द्वारा अपने मोबाइल से उन प्रश्नों का उत्तर ऑनलाईन करता है तो समय ,धन का नुकसान हो रहा है। विद्यालयो में बड़ी रंगीन फोटो मशीन , कम्प्यूटर, बिजली ,जनरेटर व प्रत्येक बालक के पास मोबाइल,सिम काड नेट पैक आदि सुविधाओ का अभाव है।
विद्यालयो में अब तक निशुल्क पाठ्य पुस्तके एवं कार्यपुस्तिकाएं नही पंहुँची है। राज्य में कई उप्रावि में 8 कक्षाओं के लिए मात्र 4 शिक्षक या इससे कम शिक्षक है। तथा प्राथमिक विद्यालयो में 5 तक कि कक्षाओं के लिए 1से 2 शिक्षक कार्यरत है। कक्षा 1 से 5 के लिए 18 शिक्षण विषय तथा कक्षा 6 से 8 के भी 18 विषयो के लिए क्वीज करवाना तथा मावि व उमावि में बड़ी संख्या में बालको के लिए क्वीज आंकलन को अल्प शिक्षको के सहारे ऑनलाइन व ऑफलाइन करवाना अव्यवहारिक है। विभाग संगठन मंत्री ओमप्रकाश विश्नोई ने बताया कि उक्त क्वीज आंकलन प्रश्नपत्रों के लिए एक माह के 4 सप्ताह में 4 बार कम्प्यूटर प्रिंट व प्रत्येक बालक के लिए उसकी रंगीन फोटो कॉपी निकलवाने में भारी बजट राशि की आवश्यकता होगी है। फेसिलिटी ग्रांट को खर्च करने के लिए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में आदेश जारी अनुसार निर्धारित मद व मात्रा के अनुसार ही व्यय करने के निर्देश है।संगठन के नगरमंत्री नरेन्द्र आचार्य ने बताया कि उक्त क्वीज मे प्रति सप्ताह दो विषय के 16 प्रश्नों को पढ़कर व समझक उत्तर देने होते है । अगर नेट व सर्वर सही काम करे तो इन 16 प्रश्नों को हल करने में प्रत्येक बालक को 30 मिनट लगते है।ऐसे में 50 बालको के लिए 1500 मिनट यानी 25 घंटो की आवश्यकता होगी।यदि शिक्षक बिना प्रिंट दिए ऑफलाईन उनके घर जाकर अपने मोबाइल से बालको से उक्त पर्चा हल करवाये तो 6 घंटो के एक कार्य दिवस में प्रति सप्ताह उसे 4 दिन यह कार्य करना पड़ेगा। शेष रहे दो दिनों में गृहकार्य, वितरण,संकलन,जांच,कार्यंपत्रक को पोर्टफोलियो में लगाने ,अगले कार्य पत्रक को तैयार करने ,पोषाहार व कॉम्बो पैक वितरण इत्यादि कार्य करनेबहोंगे ।
*संगठन की मांग* संगठन के मंडल सयुक्त मंत्री ओमप्रकाश रोड़ा, उपाध्यक्ष पवन शर्मा,त्रिपुरारी चतुवेदी ने कहा कि जिन बालकों के पास ऐंड्रोइड फोन नही है अथवा ऐसे अभिभावक जो अपना ऐंड्रोइड फोन अपने साथ काम पर लेकर जाते है, उन सभी बालको के लिये उक्त क्वीज आंकलन से छूट दी जावे, रंगीन फोटो कॉपी करवाने के लिए प्रत्येक 50 बालक पर न्यूनतम 50000 रुपये का स्टेशनरी अतिरिक्त बजट जारी करवाया जावे, पूर्व में समस्त विभागीय कार्य ऑफलाईन ही किये जाते रहे है। तब शिक्षक-छात्र अनुपात 1:40 था। किंतु अब ऑनलाइन व ऑफलाईन दोनो तरह से किये जा रहे है।तथा घर घर जाकर अध्यापन,आंकलन व समस्त कार्य ऑनलाइन करवाने से अतिरिक्त भार बढ़ने से यह अनुपात 1:15 किया जाना समीचीन होगा। निशुल्क शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बालकों के आंकलन का कार्य सीसीई के द्वारा एस 1,2 व 3 के तीन सेमेस्टरो में पूरा किये जाना उचित है। ऐसे में वाट्सएप आधारित क्वीज प्रत्येक सप्ताह करवाना निशुल्क शिक्षा के अधिकार कानून के विपरीत है।अतः इसे प्रति सप्ताह करवाने के स्थान पर 4 माह में एक बार एस ए 1, एस ए 2 व एस ए 3 पर ही करवाना आरटीईनके तहत उचित रहेगा ,एकल शिक्षक वाले प्रावि , छः से कम शिक्षको वाले उप्रावि तथा 15 से कम शिक्षको वाले उमावि में शिक्षको की अतिरिक्त व्यवस्था की जावे। राज्य के समस्त विद्यालयो के बालको को ऐन्फ़्रॉइड फोन मय सिमकार्ड, नेट पैक भरवाने की व्यवस्था करवाई जावे तथा समस्त विद्यालयो में बिजली कनेक्शन,जनरेटर व बड़ी रंगीन फोटो कॉपी मशीन, कागज,इत्यादि उपलब्ध करवाए जावे।इन समस्त धरातलीय समस्याओ व तथ्यो पर गौर फरमाते हुए आवश्यक संसाधनो के पुख्ता प्रबंध करवाने के बाद ही उक्त क्वीज आंकलन करवाना समीचीन होगा।

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