
शिक्षा विषय में स्नात्कोत्तर (एम.एड.), राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण योग्यताधारी (नेट), राज्य पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण योग्यताधारी (सेट), मास्टर आॅफ फिलाॅसफि (एम.फिल.) तथा शिक्षा में डाक्टरेट (पीएच.डी.) जैसी महत्वपूर्ण उपाधियों का राजस्थान में सिवाय निजी महाविद्यालय में नौकरी करने के अलावा और कोई महत्व नहीं है। शिक्षक शिक्षा की इन सभी उच्च डिग्री को वर्ष 1998 से शिक्षा विभाग भूल कर बैठा है।
विदित है कि राजस्थान में एक राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद् (एस.सी.ई.आर.टी.), दो राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान (आई.ए.एस.ई.) तथा 33 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डी.आई.ई.टी.) है लेकिन सरकारी सेवाओं में शिक्षक शिक्षा की इन उच्च डिग्रियों का उपयोग नहीं के बराबर है। वर्ष 1998 से पहले शिक्षा विभाग अपने कार्मिक को एम.एड. के आधार पर प्रमोशन देता था लेकिन 1998 के बाद यह व्यवस्था समाप्त कर दी गयी। नतीजन आज पिछले 22 सालों से राजस्थान में एम.एड. जैसी उच्च योग्यता उपेक्षित हो रही है।
राजस्थान स्ववित्त पोषित महाविद्यालय शिक्षक महासंघ के प्रदेश संयोजक डाॅ. राजेन्द्र श्रीमाली ने बताया कि जहां एक ओर वर्ष 2015 से वर्मा समिति की सिफारिश के पश्चात बी.एड. का पाठ्यक्रम दो वर्ष का करके बी.एड. को उच्च शिक्षा में शामिल कर लिया गया था वहीं दूसरी ओर अनुदानित बी.एड. शिक्षकों के लिए सरकार ने पांच शासकीय बी.एड. काॅलेज स्थापित किए थे जो शिक्षक शिक्षा के सेवानियम के अभाव में बन्द होने के कगार पर है। आज हमारे राज्य की शिक्षक शिक्षा दोहरे नियम पर चल रही है जहां एक ओर निजी बी.एड. काॅलेज उच्च शिक्षा आयुक्तालय जयपुर के अधीन है वहीं राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान शिक्षा निदेशालय स्कूल शिक्षा बीकानेर के अन्तर्गत संचालित है।
डाॅ. श्रीमाली ने बताया कि शिक्षा विभाग के माध्यम से राजस्थान में शिक्षक शिक्षा के सेवानियम बनाए जाए एवं राजस्थान लोक सेवा आयोग के माध्यम से शिक्षा विषय में व्याख्याता के पद सृजित किए जाए ताकि राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद्, राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षा संस्थान, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रतिनियुक्तियां बद हो एवं व्याख्याता शिक्षा के आधार पर नियुक्ति हो सके ताकि लाखों एम.एड., नेट, सेट, एम.फिल. और पी.एच.डी. योग्यताधारी बेरोजगार व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हो सके।
डाॅ. श्रीमाली ने बताया कि शिक्षक शिक्षा के सेवानियम नहीं होने के कारण शिक्षा विभाग में स्कूल व्याख्याता, जिला शिक्षा अधिकारी और संयुक्त निदेशक के ग्रेड एवं वेतनमान में भले ही अन्तर हो लेकिन योग्यता में कोई अन्तर नहीं है अतः सरकार को चाहिए कि शिक्षक शिक्षा की उच्च डिग्री प्राप्त युवाओं के लिए भारतीय शिक्षा सेवा (आई.ई.एस.) एवं राज्य शिक्षा सेवा (आर.ई.एस.), स्कुल व्याख्याता (शिक्षा) एवं काॅलेज व्याख्याता (शिक्षा) के पदों पर सीधी भर्ती की जाए ताकि एस.सी.ई.आर.टी., आई.ए.एस.ई., डी.आई.ई.टी. तथा शिक्षा विभाग के बड़ों पदों पर इन योग्यताधारी अभ्यर्थियों की योग्यता का लाभ प्राप्त हो सके साथ ही इन डिग्रियों की उपयोगिता भी सिद्ध हो सके।
डाॅ. श्रीमाली ने बताया कि अन्य राज्यों की तर्ज पर राजस्थान में भी विद्यालय स्तर के अध्ययन में कक्षा ग्यारह से शिक्षा विषय प्रारम्भ किया जाए तथा महाविद्यालय स्तर पर स्नातक एवं स्नातकोत्तर कला वर्ग में भी शिक्षा विषय को जोड़ा जाए।
डाॅ. श्रीमाली ने इस सम्बन्ध मुख्यमंत्री के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेड बलदेव राम धोजक को ज्ञापन सौंपा गया।
डाॅ. राजेन्द्र श्रीमाली
प्रान्तीय संयोजक
राजस्थान स्ववित्त पोषित महाविद्यालय शिक्षक महासंघ
प्रान्तीय कार्यालय बीकानेर
मो. 9414742973