बीकानेर,राजस्थानी भाषा के इटली मूल के महान विद्वान एवं भाषाविद् स्वर्गीय एल.पी.टैस्सीटोरी राजस्थानी भाषा के लिए संघर्ष करने वाले महान सपूत थे। आप एक सांस्कृतिक पुरोधा एवं महान भारतीय आत्मा थे, आप एक ऐसे बहुभाषाविद् थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन हमारी मायड़ भाषा राजस्थानी को मान-सम्मान दिलवाने के लिए समर्पित कर दिया था। प्रज्ञालय संस्थान और राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा पिछले चार दशकों से भी अधिक समय से उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि आयोजित करके उनके द्वारा किए गए कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने का पुनीत कार्य किया जा रहा है। ये विचार वरिष्ठ कवि कथाकार एवं राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने व्यक्त किए। अवसर था राजस्थानी युवा लेखक संघ और प्रज्ञालय संस्थान की तरफ से स्वर्गीय एल.पी.टैस्सीटोरी की 103 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित शब्दांजलि -पुष्पांजलि कार्यक्रम का। इस शब्दांजलि कार्यक्रम में रंगा अध्यक्षीय उद्बोधन के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं अतिथि सहित सभी उपस्थित राजस्थानी के समर्थकों ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि बीकानेर नगर-निगम एवं जिला प्रशासन से अनुरोध उपरान्त भी डॉ. टैस्सीटोरी के समाधि स्थल पर साफ-सफाई नहीं कराई गई। हालात ये है कि मुख्य द्वार से समाधि स्थल तक पहुँचना और साथ ही समाधि स्थल पर कार्यक्रम करना भी सम्भव नहीं था। अतः 1980 के बाद गत 42 वर्षों में पहली बार समाधि स्थल के मुख्य द्वार पर डॉ. टैस्सीटोरी के चित्र को पुष्पांजलि कर और सड़क पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह बेहद दुःखदायी एवं पीड़दायक रहा। जबकि इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग संस्था द्वारा लम्बे समय से की जा रही है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि वे एक ऐसे गुदड़ी के लाल थे जिन्होने तीन महत्वपूर्ण किताबें लिख कर राजस्थानी साहित्य को समृद्ध किया अपने उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों को विस्तार से सामने रखा। आपने उनकी याद में कोई कक्ष या चेयर बनाकर उनकी याद को चिरस्थाई बनाने की बात कही ।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कवि गिरीराज पारीक ने कहा कि आपने अपना छोटा सा जीवन हमारी तरक्की के लिए समर्पित कर दिया आप ऊंच-नीच, जाति-धर्म का कोई भाव नहीं रखते थे और इंसान को इंसान समझते थे। साथ ही उन्होंने अपनी काव्य पंक्तियों से उन्हें स्मरण किया।
वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. फारूख चौहान ने अपनी शाब्दिक श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि स्वर्गीय एल.पी. टैस्सिटोरी जनमानस में राजस्थानी भाषा की अलख जगाने वाले महान साहित्यिक सेनानी कहा। इस अवसर पर कवि जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि उन्होंने साहित्य, शिक्षा, शोध एवं पुरातत्व के क्षेत्र में अति महत्वपूर्ण कार्य किया। इसी क्रम में डॉ. कृष्णा वर्मा ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि उन्हांेंने राजस्थनी संस्कृति और विरासत को पूरे विश्व में मशहूर कर दिया।
संस्कृतिकर्मी घनश्याम सिंह एवं गंगाबिशन विश्नोई ने उनके द्वारा किए गए कार्यों पर रोशनी डालते हुए कहा कि ये हमारी भाषा के लिए गौरव की बात है कि इटली से आकर एक विद्वान साहित्यकार ने हमारी भाषा के लिए महत्वपूर्ण काम किया।
वरिष्ठ कवियत्री मधुरिमा सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने राजस्थानी भाषा रिती रिवाज एवं संस्कृति का गहन विश्लेषण किया एवं राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाना ही स्वर्गीय एल. पी. टैस्सीटोरी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल. नवीन ने टैस्सीटोरी जी के समाधि स्थल की उचित सार संभाल एवं रखरखाव की बात कही, साथ ही उन्होंने डॉ. टैस्सीटोरी की महत्वपूर्ण पुरातत्व सेवाओं को रेखांकित किया।
कवि व्यास योगेश राजस्थानी ने उन्हें नमन करते हुए कहा कि उन्होंने राजस्थानी और जैन साहित्य के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। वरिष्ठ शायर असद अली असद एवं यशेन्द्र पुरोहित ने उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए उन्हें श्रद्धा से नमन करते हुए उन्हें सच्चा एवं समर्पित भाषायी शोधार्थी एवं महान साहित्यकार कहा।
कार्यक्रम में शकूर बीकाणवी, अशोक शर्मा, भवानी सिंह, कार्तिक मोदी, सुनील व्यास, सुमित रंगा, तोलाराम सारण, हरि नारायण आचार्य, सैय्यद अनवर अली, सैय्यद हसन अली, मोहम्मद जरीफ़ सहित अनेक प्रबुद्ध जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन हरीनारायण आचार्य ने किया एवं सभी का आभार ज्ञापित करते हुए राजेश रंगा ने मांग रखी की बीकानेर नगर-निगम एवं प्रशासन के द्वारा इस महान राजस्थानी पुरोधा की समाधि स्थल को निश्चित तौर पर उनकी जन्मदिवस 13 दिसम्बर 2022 से पूर्व निश्चित तौर पर सार-सम्भाल करते हुए सफाई करवा दी जाए।
अंत में डॉ. टैस्सीटोरी की पुण्यतिथि पर उपस्थित सभी समर्थकों ने समाधि स्थल की दुर्दशा पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि नगर विकास न्यास द्वारा अधूरे पड़े समाधि के निर्माण कार्य को पूरा करवाया जाए एवं इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में शीघ्रातिशीघ्र विकसित किया जाए।