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बीकानेर.धुलंडी के दिन बीकानेर के परकोटा क्षेत्र में नत्थूसर गेट पर तणी काटने की परंपरा निभाई गई. रियासतकाल से चली आ रही परंपरा का आयोजन पहले बारह गुवाड़ चौक स्थित सूरदासाणी मोहल्ले में होता था. वर्ष 1993 से नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन हो रहा है. बीकानेर के पुष्करणा समाज के सूरदासाणी पुरोहित जाति की ओर से तणी बांधी जाती है.

आज भी निभाई जाती है परंपरा : स्थानीय निवासियों ने बताया कि तणी काटने की यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, इसको लेकर कोई सटिक जानकारी नहीं है. लेकिन साल दर साल परंपरा को निभाया जा रहा है. इसको तैयार करने, बांधने के साथ इसे काटने का अपना एक नियम है. हर साल आज के दिन नत्थूसर गेट के बाहर इसका आयोजन होता है. पुष्करणा समाज की विभिन्न जातियों की गेवर परंपरा के साथ ही यह आयोजित होता है. परम्परागत रूप से जोशी जाति के पुरुष की ओर से तणी को काटा जाता है. तणी कटने के दौरान वहां मौजूद लोग हवा में गुलाल उड़ालकर तणी काटने वाले युवक का ध्यान भटकाने की भी कोशिश करते हैं.

ऐसे बनती है तणी : तणी को तैयार करने में सात आठ किलो मूंझ का उपयोग होता है. मूंझ को बटते हुए 20 फीट लंबाई में तणी तैयार की जाती है. कई घंटों तक पानी में डुबोकर मेहनत के साथ तैयार होने वाली तणी को दो छोर पर बांधा जाता है.

जोशी जाति का युवक काटता है तणी : पुष्करणा समाज के जोशी जाति का युवक इस तणी को काटता है. किराडू जाति के पुरुषों के कंधों पर खड़े होकर युवक तणी काटते हैं. इस दौरान ओझा, छंगाणी, सूरदासाणी, किराडू, जोशी सहित समाज की जाति गेवर पहुंचने के बाद तणी काटने की रस्म प्रारंभ होती है.

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