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बीकानेर,बच्चे ने इमली खाई। बीज गले में फंस गया। घरवालों ने काफी मशक्कत की मगर निकला नहीं। उसकी सांस फूलने लगी। बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल लाए। यहां भी काफी मशक्कत के बाद नहीं निकला। आखिरकार गले में छेद कर इमली का बीज निकालना पड़ा।

छत्तरगढ़ निवासी काननाथ के आठ वर्षीय पुत्र प्रीतनाथ को खांसी और सांस में दिक्कत हुई। डॉक्टर को दिखाया तो इलाज से कोई राहत नहीं मिली। पीबीएम हॉस्पिटल लाए। एक्स-रे करवाया तो कुछ फंसा हुआ दिखा। गले के निचले हिस्से में फंसी हुई इस चीज को निकालने की कोशिश की लेकिन निकली नही। ऐसे में ईएनटी विभागाध्यक्ष डा.गौरव गुप्ता की नसीहत पर डा.मनफूल और डा.रिया की टीम ने एनस्थीसिया की डा.सोनाक्षी, दीक्षा और आस्था के साथ ट्रेकियोस्टॉमी करने की ठानी। इस प्रक्रिया में गले में छेद करना पड़ता है। यह छेद करने के बाद इमली का बीज निकाला तब मरीज को राहत मिली। प्रक्रिया में नर्सिंगकर्मी मंजू, कौशल, सहायक नरेन्द्र सांखला आदि सहयोगी रहे।

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