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बीकानेर, पगड़ी बांधना भी अपने आप में एक हुनर है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बीकानेर में 13 साल की एक बेटी आंखों पर पट्‌टी बांधकर 22 तरह के साफे बांध सकती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तमन्ना मीर ने यह हुनर दो साल के कोराेना काल में घर बैठे अभ्यास से सीखा है।

वह नेट पर देशभर में बांधी जाने वाली पगड़ियां और साफों को सर्च करती थी और बांधने का तरीका सीखती थी। अब यह इसका शौक बन गया है। शहरवासी अन्तरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव में सोमवार को कार्निवाल के दौरान तमन्ना का हुनर देख सकेंगे। तमन्ना का दावा है कि वह आंखें बंद करके 1.22 मिनट में साफा बांध सकती है।

गंगाशाही, शार्दूलशाही, बीकानेरी, जोधपुरी, गुजराती, गोल (राजस्थानी), मीरशाही साफा, जैसलमेरी साफा, शेखावाटी, नागौरी, पेचो (माहेश्वरी समाज के लोगों की पगड़ी), हरियाणवी, उदयपुरी, बाल गंगाधर तिलक साफा और खाकी साफा (राजपरिवार में शोक के समय पहना जाने वाला साफा) अदि।

तमन्ना का भाई अस्मित अली मीर भी किसी से कम नहीं है। नौवीं कक्षा का यह छात्र 900 मीटर लंबा और 22 किलो 800 ग्राम वजनी साफा बांधने का हुनर रखता है। वह इसका प्रदर्शन बीकानेर कॉर्निवाल के दौरान लगने वाली प्रदर्शनी में भी करेगा। पचरंगी और चुनरी मिक्स इस साफे करीब 19 मिनट में बांध लेता है

तमन्ना मीर बताती हैं कि साफ और पगड़ी बांधना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। उसे आगे बढ़ाने के लिए ही लॉकडाउन के दौरान मैंने यह काम सीखा। उस समय मैंने छह तरह की पगड़ियां और साफे बांधना सीखा लेकिन अब राजस्थान पगड़ियों के अलावा पंजाबी, गुजराती और कई अन्य जगहों की पगड़ियां मैंने बांधना सीख लिया है। तमन्ना के पिता मुमताज अली बताते है कि पगड़ियां और साफे बांधने के कारण तमन्ना को जिलास्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है।

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