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बीकानेर,जैनाचार्य श्रीपूज्यजी के सान्निध्य में पर्युषण पर्व के छठे दिन शुक्रवार को यति अमृत सुन्दर, यति सुमति सुन्दर व यतिनि समकित प्रभा ने कल्पसूत्र का वाचन-विवेचन करते हुए भगवान महावीर तथा भगवान पार्श्वनाथ के भव भ्रमण का वर्णन विभिन्न कथाओं के साथ किया।
जैनाचार्य जिनकुशल सूरि ने सत्य साधना शिविर के साधकों, उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को ध्यान करवाते व मंगल पाठ सुनाते हुए कहा कि अपने में क्षमा भाव रखें। सभी को क्षमा कर दें, क्षमा मांगले, सभी प्राणियों की निर्भयता व निर्लिप्ता होने की प्रार्थना करें। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र रानी बाजार में शनिवार को लक्की मॉडल स्कूल के पास स्थित सुराणा स्वाध्याय भवन में सकलश्री जैन संघ, इंडस्ट्रियल एरिया, की ओर से सुबह साढ़े सात बजे होने वाली स्नात्र पूजा व शाम आठ बजे को होने वाले भक्ति कार्यक्रम में भागीदारी की उद्घोषणा की । उन्होंने कहा कि परमात्मा को अपना तथा अपने को परमात्मा का मानते हुए प्रभु भक्ति का आनंद व सत्य साधना का लाभ लें।
यति अमृत सुन्दर ने कहा कि मनुष्य जीवन में काम,क्रोध, लोभ व मोह आदि कषायों राग-द्वेष तथा पाप कर्म के बंधन जीवों के साथ अनेक जन्मों तक रहता है। मानव जीवन में पाप कर्मों व कर्मबंधनों से बचकर, धर्म,ध्यान, सत्य साधना व परमात्म भक्ति से इस भव के साथ आगामी भवों को सुधार सकते हैं। यति सुमति सुन्दर ने भगवान महावीर के केवल्य ज्ञान, सति चंदन बाला की साधना व परमात्म भक्ति, चातुर्मास का वर्णन किया। यतिनि समकित प्रभा ने अनंत ज्ञान, अनंत शक्ति, शांति, अपार खुशियों से परिपूर्ण तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर का जन्मोत्सव, नामकरण संस्कार, सौधर्मेन्द्र इन्द्र की शंका निवारण आदि प्रसंग सुनाएं। उन्होंने गुरु भक्ति के गीत ’’जीते जी मुक्त होना, गुरुवर से सीख जाएं, हर हाल खुश रहना, गुरुवर से सीख जाना, महफिल में जुदा रहना, गुरुवर से सीख जाएं। दुनियां लोग दौलत पाकर के मुस्कराएं, पर भीक्षु बन के हंसना, गुरुवर से सीख जाएं’’ सुनाकर श्रावक-श्राविकाओं को साथ गाने के लिए मजबूर कर दिया। कर्म तेरे अच्छे है तो किस्मत तेरी दासी, नियत तेरी अच्छी है तो घर में ही मथुरा काशी है’’ ध्येय वाक्य का स्मरण दिलाते हुए कहा कि अच्छे कर्म करें, बुरे कर्मों से बचें।

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