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बीकानेर,वरिष्ठ संगीतज्ञ आशकरन सांखला की द्वितीय पुण्यतिथि पर प्रताप बस्ती में “स्वरांजली” कार्यक्रम का आयोजन किया गया । रात भर चले कार्यक्रम में नगर के कलाकारों ने अपनी संगीत रचनाओं से स्व. आशकरण सांखला को भावभीनी स्वरांजलि अर्पित की ।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लेखक अशफाक कादरी ने कहा कि संगीत जगत में वरिष्ठ संगीत गुरु स्व. आशकरण सांखला ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीय शास्त्रीय संगीत को समर्पित किया । उन्होंने कहा कि स्व. सांखला ने गुरु शिष्य परम्परा के अन्तर्गत नगर में प्रतिभाशाली कलाकार तैयार किए । मुख्य वक्ता अब्दुल शकूर सिसोदिया ने कहा कि स्व. आशकरण सांखला स्वतंत्रता सेनानियो के सान्निध्य में रहे और जीवन भर समाज की शिक्षा और उत्थान में सक्रिय रहे । सेवानिवृत जिला शिक्षा अधिकारी पुष्पा श्रीमाली ने कहा कि स्व. सांखला महिला शिक्षा के प्रेरक गुरु थे । कार्यक्रम संयोजक अहमद बशीर सिसोदिया ने कहा कि स्व.सांखला ने समाज के सभी तबकों में संगीत की अलख जगाई । कार्यक्रम में स्व.सांखला की धर्मपत्नी श्रीमती भंवरी देवी, पुत्र गोपीकिशन, तेजकुमार भी शामिल थे ।

कार्यक्रम में सपन कुमार ने गणेश वंदना से आगाज किया । युवा गायक डॉ.चंद्र शेखर सांवरिया ने गुरुबानी सबद प्रस्तुत किया । शास्त्रीय गायक प.नारायण रंगा ने  मिश्र पहाड़ी सुनाकर भाव विभोर किया । गायक प्रथम कुमार शर्मा ने राग बिहाग विलम्बित एक ताल  खयाल” कैसे सुख सौवे निदरिया” प्रस्तुत किया । शर्मा ने

द्रुत ख्याल तीनताल – लट उलझी सुलझा जा बालम सुनाकर वाह वाही लूटी । मुदित प्रजापत ने “जितना दिया गुरुवर ने मुझको उतनी मेरी औकात नही” सुनाया । राघव स्वामी ने छोटा खयाल “जो गुरु कृपा करे रे मन कोटिक कटे क्षण में”राग दरबारी कान्हड़ा प्रस्तुत किया । विट्ठल पारीक ने ग़ज़ल-  “हम तेरे शहर आये हैं मुसाफिर की तरहां” तथा यश पुरोहित ने ग़ज़ल “अपनी धुन में रहता हूं मैं भी तेरे जैसा हूँ” सुनाकर समा बांधा । कार्यक्रम में मनोज सुथार ने राग दरबारी, हुमेश भाटी ने भजन सुनाया । सुरेन्द्र देया, पीयूष गहलोत ने भी प्रस्तुति दी ।

कार्यक्रम में हरमोनियम पर गौरीशंकर सोनी, ऑर्गन पर अर्शद मोहम्मद एवम जावेद ,पैड पर योगेंद्र सिंह, तबला पर मोंटू व्यास, उदित पारीक ने संगत की । कार्यक्रम में बालकिशन सांखला ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।

 

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