बीकानेर,तकनिकी विश्वविद्यालय में गोद लिए गांव पालना में स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता अभियान हुआ । कुलपति प्रो. अंबरीश शरण विधार्थी ने कहा कि गांव के विद्यार्थियो को जागरूक करना हमारा सामाजिक दायित्व है।समाज को स्वच्छ रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। हमें यह प्रण लेना चाहिए की घर में एवम विद्यालय या अन्य संस्थानो में शौचालय का उचित प्रबंध करें, ताकि खुले में शौच की प्रवृति को समाप्त किया जा सके। जब हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ होगा तो ही हम स्वस्थ होंगे।स्वच्छता का अर्थ है सफाई से रहने की आदत। सफाई से रहने से जहां शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं स्वच्छता तन और मन दोनों की खुशी के लिए आवश्यक है। स्वच्छता, सभी लोगों को अपनी दिनचर्या में अवश्य ही शामिल करना चाहिए। महात्मा गांधी ने कहा था- ‘स्वच्छता ही सेवा है।
ऐसे अभियानों से जागरूकता आयेगी और रोजगार भी सृजित होगा जैसे ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के लिए कम्पोस्ट पिट्स, सोक पिट्स, कचरा स्थिरीकरण तालाब, सामग्री रिकवरी ‘सुविधाओं आदि जैसी अवसंरचनाओं तथा घरेलू शौचालय एवं सामुदायिक शौचालय परिसरों के निर्माण आदि के द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा ।
व्यक्तिगत स्वच्छता व्यक्ति के विकास में मदद करती है, उन्हें स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करती है और सामाजिक एवं व्यक्तिगत स्तर पर उच्चतम स्तर के चरित्र और गुणों का निर्माण करती है। यह व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कार्यक्रम की संचालिका डाक्टर अनु शर्मा एवं डा प्रीति पारीक ने कहा कि कचरे का सही निस्तारण नहीं किया जाए तो हर तरफ कचरा फैल जाता है और इसके साथ ही हमारा पूरा वातावरण प्रदूषित हो जाता है। यह गंदगी और कूड़ा-करकट दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे है। जिसके कारण अनेकों परेशानियां खड़ी हो रही हैं, इसलिए स्वच्छ भारत अभियान की जरूरत पड़ी जिसके तहत हमारा पूरा भारत स्वच्छ और साफ दिखाई दें।
भारत में खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना अर्थात् संपूर्ण देश को खुले में शौच करने से मुक्त (ओ.डी.एफ.) घोषित करना, हर घर में शौचालय का निर्माण, जल की आपूर्ति और ठोस व तरल कचरे का उचित तरीके से प्रबंधन करना ही इस कार्यक्रम का उदेश्य है।
मानसिक स्वच्छता भी जरूरी है क्योंकि इससे अच्छे और शुद्ध विचार मानसिक स्वच्छता के तहत आते हैं। इसमें सकारात्मक सोच, ध्यान, मेधा विकास, चिंता और तनाव को कम करने के तरीके शामिल होते हैं।
स्वच्छ और स्वच्छता के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर को कीटाणु, बैक्टीरिया और वायरस से बचा सकता है। स्वच्छ रहने से संक्रमण का खतरा कम होता है और रोगों से बचाव से मदद मिलती है।
विज्ञान एवं तकनीकी युग में ई वेस्ट की समस्या भी बढ़ती का रही है। इसका भी निराकरण नहीं किया का तो इससे विकीरने उत्सर्जित होती हैं।
सामाजिक स्वच्छता पर भी ध्यान देना जरूरी है। इससे व्यक्ति के संबंधों में सभ्यता, सहानुभूति, ईमानदारी और सभ्य व्यवहार को बढ़ावा दिया जाता है।
स्वच्छ रहने से व्यक्ति को आत्मविश्वास मिलता है क्योंकि वह अपने बारे में अच्छा महसूस करता है और सकारात्मक रूप से खुद को प्रदर्शित करता है।
विद्यार्थियो ने उत्साह पूर्वक सफाई अभियान में भाग लिया तथा इससे जुड़े कई प्रश्न पूछे। विद्यालय प्रिंसिपल एवं स्टाफ ने सहयोग से ये अभियान सफलता पूर्वक आयोजित हुआ।